नई दिल्ली, 3 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना को आधुनिकतम फायरिंग शेल मिलने जा रहा है। यह रक्षा उत्पादन, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। इससे एक और जहां नौसेना की शक्ति बढ़ेगी वहीं नौसेना ड्रोन के खिलाफ भी मजबूती से मुकाबला करने में सक्षम बनेगी।
डीआरडीओ ने मंगलवार को 30 एमएम हाई एक्सप्लोसिव प्रीफॉर्म्ड फ्रैगमेंटेशन (एचईपीएफ) शेल के उत्पादन का दस्तावेज नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक (डीजीएनएआई) को सौंपा है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसे मौजूदा एके-630 नेवल गन से दागा जा सकता है। इस आधुनिक शेल की विशेषताएं इन-सर्विस एम्युनिशन के समान हैं। एचईपीएफ शेल बेहतर विखंडन या फ्रैगमेंटेशन घातकता प्रदान करता है। इसका यह गुण इसे ड्रोन के झुंडों को बेअसर करने में प्रभावी बनाता है।
डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला एआरडीई द्वारा विकसित यह 30 एमएम एचईपीएफ शेल, ड्रोन के विरुद्ध भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता में और अधिक वृद्धि करेगा। एचईपीएफ शेल हार्डवेयर का निर्माण तीन भारतीय फर्मों द्वारा किया गया है। यह निर्माण आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (एआरडीई) के निर्देशों और नौसेना आयुध निरीक्षणालय, जबलपुर के सहयोग से गन फायरिंग प्रूफ परीक्षणों के अधीन किया गया है। परीक्षण परिणामों ने एके 630 गन में इस आधुनिकतम शेल के अनुकूलन की उपयुक्तता की पुष्टि की है। जिसके बाद इस 30 एमएम हाई एक्सप्लोसिव प्रीफॉर्म्ड फ्रैगमेंटेशन शेल के समावेशन का मार्ग प्रशस्त हो सका है।
दस्तावेज सौंपे जाने के साथ ही, रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय (नौसेना)/डीजीएनएआई ने एचईपीएफ शेल के समावेशन की मंजूरी प्राप्त कर ली है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शेल के विनिर्माण का कार्य शुरू करने हेतु एआरडीई द्वारा 30 एमएम एचईपीएफ शेल के लिए उत्पादन दस्तावेज़ तैयार किया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने उत्पादन दस्तावेज सौंपे जाने के लिए एआरडीई को बधाई दी है। इस समारोह के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नौसेना मुख्यालय के अधिकारी मौजूद थे।
–आईएएनएस
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