deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ जीवन

by
September 8, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

READ ALSO

महाराष्ट्र में 77 सामाजिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने की सिफारिश

नशा मुक्त भारत अभियान के तहत दिल्ली पुलिस की कार्रवाई, भारी मात्रा में मादक पदार्थ नष्ट

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘’कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता।‘’ यह लाइन पंजाबी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्‍मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है। 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था।

बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्‍टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्‍होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया। उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे।

1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए। मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती। इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया। उन्‍होंने फिल्‍म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

मगर यह अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया मगर फिर भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं। यह कहना बिल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक नई पहचान दी।

उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्‍हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्‍म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्‍क्रीन शेयर की।

इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है।

कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहां जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ।

पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया। जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्‍होंने बी ग्रेड फिल्‍मों को साइन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया।

आपको बता दें कि एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी। इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया।

सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे।

इसके बाद उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के कैंसर के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन उसके बावजूद भी वह उन्हें बचा नहीं पाए पिता की मौत का सदमा माता ने जी भी नहीं बर्दाश्त कर सकी, वह भी चल बसी।

इतना संघर्ष देखने के बाद भी सतीश कौल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल की शुरुआत की, मगर कहते हैं न किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है। उन्‍हें चोट लगी, जिसके चलते उन्‍हें काफी समय अस्पताल में ही बिताना पड़ा।

लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया।

अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था।

इतने बड़े अभिनेता ने अपने जीवन के अंतिम समय लुधियाना के स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में बिताया, जहां 10 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई।

एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में सतीश कौल ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी, और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं।

बॉलीवुड में उन्‍होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्‍मों में काम किया।

पंजाबी फ़िल्म उद्योग में उनकी सफल फिल्‍मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

Related Posts

ताज़ा समाचार

महाराष्ट्र में 77 सामाजिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने की सिफारिश

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

नशा मुक्त भारत अभियान के तहत दिल्ली पुलिस की कार्रवाई, भारी मात्रा में मादक पदार्थ नष्ट

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

केंद्र सरकार की विदेश नीति फेल, केवल भाषणबाजी से नहीं चलता देश : कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

त्रिपुरा में 60 करोड़ की ड्रग्स बरामद, सुरक्षा बल सतर्क

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

भूपेश बघेल का भाजपा पर तंज, जीएसटी के फायदे गिना रही, पर बाजारों में सन्नाटा पसरा

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

उत्तर प्रदेश: अयोध्‍या में रामलीला में रावण दहन पर लगी रोक

September 30, 2025
Next Post

भारतीय क्रिकेट का 'प्रिंस': अंडर-19 वर्ल्ड कप से हिट, टीम इंडिया में एंट्री, हसीनाओं के दिलों पर भी करते हैं 'राज'

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

115770
Total views : 6025180
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In