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Home ताज़ा समाचार

एफपीआई ने सितंबर के पहले हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार में निवेश किए 11,000 करोड़ रुपये

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September 9, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

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मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

–आईएएनएस

एबीएस/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

–आईएएनएस

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

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वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

–आईएएनएस

एबीएस/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजार का मजबूत होना और अमेरिका में सितंबर के मध्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना को माना जा रहा है।

डिपॉजिटरीज के डेटा के मुताबिक, एफपीआई द्वारा 2 सितंबर से लेकर 6 सितंबर तक 10,978 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। एफपीआई, जून से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बुलिश बने हुए हैं और लगातार खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, अप्रैल-जून के महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा 34,252 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। समीक्षा अवधि में एफपीआई की ओर से इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी 7,600 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के अलावा कई अन्य फैक्टर्स से एफपीआई का इनफ्लो भारत में देखा जा रहा है। इसमें ग्लोबल डायनेमिक्स, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधारी और जोखिम कम करने की रणनीतियां आदि शामिल हैं।

बाजार के अन्य जानकारों का कहना है कि अमेरिका में आया ताजा डेटा यह दिखाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है। इसके कारण फेड सितंबर के मध्य में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

वहीं, अमेरिका का 10 साल के बॉन्ड की यील्ड कम होकर 3.73 प्रतिशत होना उभरते हुए बाजारों में एफपीआई इनफ्लो के लिए सकारात्मक है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे बाजारों में आने वाले समय में खरीदारी और बढ़ा सकते हैं। हालांकि, मंदी और राष्ट्रपति चुनाव के कारण अमेरिकी बाजारों में आने वाले समय में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

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