deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home राष्ट्रीय

गठबंधन राजनीति के प्रबल पैरोकार थे सीताराम येचुरी, जानें कैसा रहा उनका सियासी सफर

by
September 12, 2024
in राष्ट्रीय
0
गठबंधन राजनीति के प्रबल पैरोकार थे सीताराम येचुरी, जानें कैसा रहा उनका सियासी सफर
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

READ ALSO

दशहरे से पहले कर्मचारियों को बोनस का तोहफा, अकाउंट में आएंगे 1.03 लाख बोनस

छत्तीसगढ़: कोरबा में तेज रफ्तार का कहर, कार ने बाइक सवार को मारी टक्कर

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत में शुमार येचुरी औपचारिक रूप से 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हुए और जल्दी ही पार्टी में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। पार्टी के मुखर प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने ख्याति अर्जित की। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर पुरजोर तरीके से पब्लिक फोरम पर पार्टी का पक्ष रखा। 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और स्थायी आमंत्रित सदस्य बन गए। उन्होंने 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में प्रकाश करात का जगह लिया और 2018 और 2022 में दो बार इस पद के लिए फिर से चुने गए।

तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है। गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया।

दिल्ली लुटियंस के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने वाले येचुरी के सभी दलों में मित्र थे। येचुरी का राजनीतिक कौशल तब सुर्खियां बनी, जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। अपने सियासी सफर में येचुरी अपनी विनम्रता, ईमानदारी और सादगी भरे जीवन से भारत के सियासी फलक पर अपनी एक अलग छवि बनाई।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

Related Posts

कोयला कर्मचारियों बोनस दशहरे, कोल इंडिया लिमिटेड
ताज़ा समाचार

दशहरे से पहले कर्मचारियों को बोनस का तोहफा, अकाउंट में आएंगे 1.03 लाख बोनस

September 26, 2025
छत्तीसगढ़: कोरबा में तेज रफ्तार का कहर, कार ने बाइक सवार को मारी टक्कर
राष्ट्रीय

छत्तीसगढ़: कोरबा में तेज रफ्तार का कहर, कार ने बाइक सवार को मारी टक्कर

September 26, 2025
लालटेन राज में अराजकता और भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा मार बिहार की महिलाओं ने झेली : पीएम मोदी
राष्ट्रीय

लालटेन राज में अराजकता और भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा मार बिहार की महिलाओं ने झेली : पीएम मोदी

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का पीएम मोदी ने किया शुभारंभ, सीएम नीतीश ने जताया आभार

September 26, 2025
20 साल पुराने वाहन अब नहीं होंगे कबाड़, केंद्र सरकार का नया नियम जारी
ताज़ा समाचार

20 साल पुराने वाहन अब नहीं होंगे कबाड़, केंद्र सरकार का नया नियम जारी

September 26, 2025
वनरक्षक कमल निवरिया सड़क हादसे, फॉरेस्ट बीट, गार्ड कमल निवरिया मौत
राष्ट्रीय

वनरक्षक कमल निवरिया की सड़क हादसे में मौत

September 26, 2025
Next Post
पटना के गोविंदपुर गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड के नाम पर गड़बड़ी : संजय जायसवाल

पटना के गोविंदपुर गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड के नाम पर गड़बड़ी : संजय जायसवाल

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

113775
Total views : 6015189
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In