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Home ताज़ा समाचार

आईटी कंपनी छोड़कर आनंद गोयल ने शुरू की ‘ट्रीवर्ड्स’ मुहिम, 15 साल में 800 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य

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September 13, 2024
in ताज़ा समाचार
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रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के आनंद गोयल ने खुद की आईटी कंपनी छोड़कर एक ऐप लांच किया है जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंदीदा ई-कॉमर्स कंपनी से शॉपिंग कर सकते हैं। इसके बदले उनके ऐप को होने वाली कमाई पर ग्राहकों को ट्रीवर्ड्स प्वाइंट (रिवॉर्ड्स प्वाइंट की तरह) दिये जाते हैं। हर 1,000 ट्रीवर्ड्स पर उनका ट्रीवर्ड्स फाउंडेशन एक पौधा लगाता है।

गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

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आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

–आईएएनएस

पीएसके/एकेजे

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रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के आनंद गोयल ने खुद की आईटी कंपनी छोड़कर एक ऐप लांच किया है जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंदीदा ई-कॉमर्स कंपनी से शॉपिंग कर सकते हैं। इसके बदले उनके ऐप को होने वाली कमाई पर ग्राहकों को ट्रीवर्ड्स प्वाइंट (रिवॉर्ड्स प्वाइंट की तरह) दिये जाते हैं। हर 1,000 ट्रीवर्ड्स पर उनका ट्रीवर्ड्स फाउंडेशन एक पौधा लगाता है।

गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

–आईएएनएस

पीएसके/एकेजे

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रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के आनंद गोयल ने खुद की आईटी कंपनी छोड़कर एक ऐप लांच किया है जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंदीदा ई-कॉमर्स कंपनी से शॉपिंग कर सकते हैं। इसके बदले उनके ऐप को होने वाली कमाई पर ग्राहकों को ट्रीवर्ड्स प्वाइंट (रिवॉर्ड्स प्वाइंट की तरह) दिये जाते हैं। हर 1,000 ट्रीवर्ड्स पर उनका ट्रीवर्ड्स फाउंडेशन एक पौधा लगाता है।

गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के आनंद गोयल ने खुद की आईटी कंपनी छोड़कर एक ऐप लांच किया है जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंदीदा ई-कॉमर्स कंपनी से शॉपिंग कर सकते हैं। इसके बदले उनके ऐप को होने वाली कमाई पर ग्राहकों को ट्रीवर्ड्स प्वाइंट (रिवॉर्ड्स प्वाइंट की तरह) दिये जाते हैं। हर 1,000 ट्रीवर्ड्स पर उनका ट्रीवर्ड्स फाउंडेशन एक पौधा लगाता है।

गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

–आईएएनएस

पीएसके/एकेजे

रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के आनंद गोयल ने खुद की आईटी कंपनी छोड़कर एक ऐप लांच किया है जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंदीदा ई-कॉमर्स कंपनी से शॉपिंग कर सकते हैं। इसके बदले उनके ऐप को होने वाली कमाई पर ग्राहकों को ट्रीवर्ड्स प्वाइंट (रिवॉर्ड्स प्वाइंट की तरह) दिये जाते हैं। हर 1,000 ट्रीवर्ड्स पर उनका ट्रीवर्ड्स फाउंडेशन एक पौधा लगाता है।

गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

–आईएएनएस

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रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के आनंद गोयल ने खुद की आईटी कंपनी छोड़कर एक ऐप लांच किया है जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंदीदा ई-कॉमर्स कंपनी से शॉपिंग कर सकते हैं। इसके बदले उनके ऐप को होने वाली कमाई पर ग्राहकों को ट्रीवर्ड्स प्वाइंट (रिवॉर्ड्स प्वाइंट की तरह) दिये जाते हैं। हर 1,000 ट्रीवर्ड्स पर उनका ट्रीवर्ड्स फाउंडेशन एक पौधा लगाता है।

गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

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आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

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आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

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गोयल को उम्मीद है कि पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए उनके ऐप को अपनाएंगे। अबतक फाउंडेशन दो लाख से अधिक पौधे लगा चुका है और 15 साल में दुनिया भर में 800 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहिम का भी हिस्सा बन चुके हैं।

आनंद बताते हैं कि साल 2005 में जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने खुद की एक कंपनी बनाई थी, जो आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लीकेशन जैसी चीजों पर काम करती है। इस कंपनी में आनंद ने 18 साल तक काम किया।

पिछले साल वह अपनी बेटी के साथ ट्रेवल कर रहे थे, तभी उनके पास एक डाटा आया कि साल 2022 में आईटी उद्योग ने 60 लाख टन का कार्बन उत्सर्जन किया है। आनंद ने कहा, “मुझे पीड़ा हुई कि जिस इंडस्ट्री में मैं काम कर रहा हूं, वह इंडस्ट्री इतना बड़ा कार्बन उत्सर्जन का कारण है। इसके बाद मैं अपनी टीम के साथ मिलकर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए पौधे लगाने का काम कर रहा हूं।” उन्होंने अपनी आईटी कंपनी छोड़ दी।

आनंद ने बताया कि ट्रीवर्ड्स ऐप पर लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप जुड़े हुए हैं। ट्रीवर्ड्स के माध्यम से शॉपिंग के बदले में उनके ऐप को पैसे मिलते हैं जिसके बदले यूजर को ट्रीवर्ड्स मिलता है। जैसे ही यूजर के पास 1,000 ट्रीवर्ड्स पूरे होते हैं, उस यूजर के लिए एक एक पौधा लगा दिया जाता है। यूजर को पौधे का जीपीएस लोकेशन, उसकी फोटो और उसकी सभी जानकारी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है। जीपीएस के माध्यम से वे पौधों को कभी भी ट्रैक कर सकते हैं।

आनंद ने बताया कि ऐप बनाने और पेड़ लगाने के लिए उन्होंने मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया था। फिलहाल ट्रीवर्ड्स की टेक्निकल टीम में 13 लोग काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज सरकार और निजी कंपनियां लगातार पेड़ लगा रही हैं। कुछ लोग सरकार और निजी कंपनियों पर पेड़ कटाई के आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भूल जाता है कि वे हमें सुविधा देने के लिए पेड़ काट रहे हैं।

आनंद ने कहा, “सरकार और कॉरपोरेट जितने भी पेड़ काटते हैं उससे 10 गुना ज्यादा पौधे लगाते हैं।” आनंद ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अभियान में भागीदारी करते हुए ट्रीवर्ड्स पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के नाम से एक कम्युनिटी भी बनाई गई है।इससे जुड़कर हर व्यक्ति अपनी मां के नाम से एक पौधा लगा सकता है जिसे वह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से देख सकता है और उसकी फोटो अपलोड कर दूसरों को भी जागरूक कर सकता है।

–आईएएनएस

पीएसके/एकेजे

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