बाली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। भारत और इंडोनेशिया के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार से बाली में आयोजित हो रहा है। ‘लहरों के पार प्रतिध्वनि: भारत और इंडोनेशिया की साझा सांस्कृतिक विरासत के अंतर्संबंधों पर पुनर्विचार’ शीर्षक से यह सम्मेलन दो दिन तक चलेगा।
जकार्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम बाली में भारतीय महावाणिज्य दूतावास, मौलाना अबुल कलाम आजाद एशियाई अध्ययन संस्थान (MAKAIAS), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और सामाजिक और सांस्कृतिक अध्ययन संस्थान (ISCS), भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है।
सम्मेलन का उद्देश्य अकादमिक प्रस्तुतियों और विशेषज्ञ चर्चाओं के माध्यम से दोनों देशों के बीच गहन सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा को पुनर्जीवित करना है।
शनिवार को उद्घाटन सत्र में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, भाषाई, धार्मिक और कलात्मक आदान-प्रदान को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी आयोजित होगी।
उद्घाटन समारोह को इंडोनेशिया सरकार के सम्मानित मुख्य अतिथि, इंडोनेशिया में भारत के राजदूत संदीप चक्रवर्ती, बाली में भारत के महावाणिज्य दूत डॉ. शशांक विक्रम, एमएकेएआईएएस के निदेशक डॉ. सरूप प्रसाद घोष और आईएससीएस के निदेशक अरिंदम मुखर्जी सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा संबोधित किया जाएगा।
रविवार को, सम्मेलन में प्राचीन समुद्री व्यापार मार्ग, हिंदू-बौद्ध परंपराएं, भाषाई और साहित्यिक तुलना, कला और व्यंजनों में सांस्कृतिक नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधुनिक चिंतन जैसे विषयों को कवर करने वाले शैक्षणिक सत्रों की एक श्रृंखला आयोजित होगी।
इन सत्रों का नेतृत्व दोनों देशों के प्रमुख विद्वानों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा। इसका उद्देश्य साझा सांस्कृतिक विरासत के समकालीन प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं का पता लगाना है।
राजदूत संदीप चक्रवर्ती ने सम्मेलन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “भारत-इंडोनेशिया संबंध बहुस्तरीय, बहुआयामी और कालातीत हैं, यह सम्मेलन हमारे साझा इतिहास की स्मृति को जीवित रखने, वर्तमान को प्रासंगिक बनाने और भविष्य में मजबूत संबंध बनाने में मदद करने का एक सराहनीय प्रयास है।”
–आईएएनएस
एमके/सीबीटी