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Home ताज़ा समाचार

बर्फीले इलाकों में तैनात सैनिकों की चुनौतियां कम करेगा ‘हिमटेक’ 

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September 20, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। लेह में भारतीय सेना के लिए ‘हिम टेक’ आयोजित किया जा रहा है। लेह लद्दाख व आसपास के अन्य बर्फीले एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्र सैनिकों के लिए चुनौतियां पेश करते हैं। यहां ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। कम आर्द्रता व उच्च ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का रखरखाव और सैन्य कर्मियों का जीवित रहना तक कठिन हो जाता है।

हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। लेह में भारतीय सेना के लिए ‘हिम टेक’ आयोजित किया जा रहा है। लेह लद्दाख व आसपास के अन्य बर्फीले एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्र सैनिकों के लिए चुनौतियां पेश करते हैं। यहां ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। कम आर्द्रता व उच्च ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का रखरखाव और सैन्य कर्मियों का जीवित रहना तक कठिन हो जाता है।

हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। लेह में भारतीय सेना के लिए ‘हिम टेक’ आयोजित किया जा रहा है। लेह लद्दाख व आसपास के अन्य बर्फीले एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्र सैनिकों के लिए चुनौतियां पेश करते हैं। यहां ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। कम आर्द्रता व उच्च ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का रखरखाव और सैन्य कर्मियों का जीवित रहना तक कठिन हो जाता है।

हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। लेह में भारतीय सेना के लिए ‘हिम टेक’ आयोजित किया जा रहा है। लेह लद्दाख व आसपास के अन्य बर्फीले एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्र सैनिकों के लिए चुनौतियां पेश करते हैं। यहां ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। कम आर्द्रता व उच्च ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का रखरखाव और सैन्य कर्मियों का जीवित रहना तक कठिन हो जाता है।

हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। लेह में भारतीय सेना के लिए ‘हिम टेक’ आयोजित किया जा रहा है। लेह लद्दाख व आसपास के अन्य बर्फीले एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्र सैनिकों के लिए चुनौतियां पेश करते हैं। यहां ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। कम आर्द्रता व उच्च ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का रखरखाव और सैन्य कर्मियों का जीवित रहना तक कठिन हो जाता है।

हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

इसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को उपयोग में लाना व यहां आने वाली चुनौतियों का समाधान पेश करना है। हिमटेक का उद्देश्य इन चुनौतियों से निपटने और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। लेह में भारतीय सेना के लिए ‘हिम टेक’ आयोजित किया जा रहा है। लेह लद्दाख व आसपास के अन्य बर्फीले एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्र सैनिकों के लिए चुनौतियां पेश करते हैं। यहां ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है। कम आर्द्रता व उच्च ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का रखरखाव और सैन्य कर्मियों का जीवित रहना तक कठिन हो जाता है।

हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के समक्ष ये उपकरण निरीक्षण व प्रशिक्षण के लिए दो दिन तक उपलब्ध रहेंगे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में स्थापित एक्सपो स्टालों का दौरा किया। भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ बातचीत की। यह भारतीय रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए यहां आने वाली वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी हासिल करने का एक अवसर है।

‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वदेशी तकनीक के जरिए सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आई 90 से अधिक कंपनियों ने स्वायत्त प्रणालियों, हरित ऊर्जा, मानव स्थिरता उपकरण, अपशिष्ट निपटान, संचार, संवेदन और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। साथ ही इस कार्यक्रम ने भारतीय रक्षा उद्योग व उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बातचीत का अवसर प्रदान किया है।

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‘हिम टेक 2024’ ने रक्षा बलों, बिजनेस लीडर्स और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध की चुनौतियों से निपटने और सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। इस आयोजन ने आत्मनिर्भर भारत की पहल द्वारा आत्मनिर्भरता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार इस दौरान यहां मौजूद रहे। ‘हिम टेक’ का आयोजन भारतीय सेना द्वारा फिक्की के समन्वय से किया गया है। इस कार्यक्रम में फिक्की के वरिष्ठ पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी और अन्य नागरिक शामिल हुए।

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हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सड़कों में व्यवधान होता है। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाके और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सड़क व हवाई यातायात जटिल हो जाता है। ऐसे में शुक्रवार को शुरू हुए ‘हिमटेक’ ने भारतीय रक्षा उद्योग को यहां अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।

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