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Home राष्ट्रीय

स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता से तैयार होता है महाकाल मंदिर का प्रसाद

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September 21, 2024
in राष्ट्रीय
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स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता से तैयार होता है महाकाल मंदिर का प्रसाद
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उज्जैन, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को लड्डू का भोग लगाया जाता है। लड्डू को बनाने के लिए यहां पर विशेष तौर पर स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी दिए गए हैं। लड्डू प्रसाद के लिए 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड भी दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

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अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

–आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी

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उज्जैन, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को लड्डू का भोग लगाया जाता है। लड्डू को बनाने के लिए यहां पर विशेष तौर पर स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी दिए गए हैं। लड्डू प्रसाद के लिए 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड भी दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

–आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी

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उज्जैन, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को लड्डू का भोग लगाया जाता है। लड्डू को बनाने के लिए यहां पर विशेष तौर पर स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी दिए गए हैं। लड्डू प्रसाद के लिए 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड भी दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

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उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

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उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

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उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

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उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

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उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

–आईएएनएस

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

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भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

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अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

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भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

–आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी

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उज्जैन, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को लड्डू का भोग लगाया जाता है। लड्डू को बनाने के लिए यहां पर विशेष तौर पर स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी दिए गए हैं। लड्डू प्रसाद के लिए 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड भी दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

–आईएएनएस

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उज्जैन, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को लड्डू का भोग लगाया जाता है। लड्डू को बनाने के लिए यहां पर विशेष तौर पर स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी दिए गए हैं। लड्डू प्रसाद के लिए 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड भी दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

–आईएएनएस

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उज्जैन, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को लड्डू का भोग लगाया जाता है। लड्डू को बनाने के लिए यहां पर विशेष तौर पर स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रशासन को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी दिए गए हैं। लड्डू प्रसाद के लिए 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड भी दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

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उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि लड्डू प्रसाद बनाने की विधि को समझने के लिए हमें अयोध्या भी बुलाया गया था।

अयोध्या में आयोजित श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से हमारी टीम पहुंची थी और लड्डू भोग प्रसाद कैसे तैयार किया जाता है, इसकी जानकारी साझा की गई। हमारे यहां लड्डू तैयार करने के लिए मुख्य रूप से चने की दाल ली जाती है। हम बाजार से बेसन नहीं लेते हैं। इसके अलावा रवा, काजू, किशमिश और चीनी का बूरा मिलाया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद से ही देशभर में लोगों में रोष है। ह‍िंदुओं की आस्था पर गहरा चोट लगा है। साधु-संत सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के लिए तैयार होने वाले लड्डू के बारे में जानकारी साझा की है।

उधर, स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.अवधेश पुरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, गाय के घी की जगह जानवरों की चर्बी से प्रसाद तैयार किया जा रहा था, यह बहुत निंदनीय है।

भारतीय सनातन संस्कृत‍ि की आत्मा मंदिर, देवालय हैं और वहां स्‍थाप‍ित मूर्त‍ि साक्षात भगवान हैं।

उनके भोग, प्रसाद में अशुद्धता का इस प्रकार का आलम देखने को मिला है। गाय के घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी का उपयोग किए जाने से तो हमारा सनातन धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है, तो यह वाकई में बहुत निंदनीय है।

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