deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

बच्चों की गतिविधियों पर रहेगी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण की नजर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जारी किए निर्देश

by
September 22, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

READ ALSO

बिहार: भोजपुर पहुंचे भाकपा (माले) के महासचिव, बाढ़ और कटाव वाले क्षेत्रों का लिया जायजा

मुंबई में अवैध रूप से रह रहे 5 बांग्लादेशी नागरिक हिरासत में, डिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गूगल, यूट्यूब, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप), एक्स, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट और बम्बल सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश जारी किए। उन्होंने एक बयान में बताया कि बच्चों की उम्र सत्यापन के लिए एक प्रणाली बनाने, प्लेटफार्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण को मजबूत करने, सीएसएएम का पता लगाने और रिपोर्ट करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी है।

बयान में आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्‍ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“

बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

Related Posts

बिहार: भोजपुर पहुंचे भाकपा (माले) के महासचिव, बाढ़ और कटाव वाले क्षेत्रों का लिया जायजा
ताज़ा समाचार

बिहार: भोजपुर पहुंचे भाकपा (माले) के महासचिव, बाढ़ और कटाव वाले क्षेत्रों का लिया जायजा

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

मुंबई में अवैध रूप से रह रहे 5 बांग्लादेशी नागरिक हिरासत में, डिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू

September 27, 2025
राजद के कर्पूरी अति पिछड़ा सम्मेलन को विजय सिन्हा ने बताया ‘चुनावी नाटक’, तेजस्वी पर साधा निशाना
ताज़ा समाचार

राजद के कर्पूरी अति पिछड़ा सम्मेलन को विजय सिन्हा ने बताया ‘चुनावी नाटक’, तेजस्वी पर साधा निशाना

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

मंड्या के मद्दुर में गणेश जुलूस पर पथराव मामले में भाजपा की रिपोर्ट से कई खुलासे

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

जज्बे के साथ बुराइयों को दूर करना और अच्छा नागरिक बनना भी जिहाद : दिग्विजय सिंह

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

हरिद्वार में सीएम धामी ने धार्मिक अनुष्ठान में लिया हिस्सा, स्थानीय व्यापारियों से की मुलाकात

September 27, 2025
Next Post

कैसे संदेह के घेरे में आया तिरुपति का प्रसाद? देशभर के मंदिरों में बरती जा रही सतर्कता

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

114618
Total views : 6019916
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In