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Home ताज़ा समाचार

यूपी में बनेंगे एकीकृत न्यायालय परिसर, एक छत के नीचे होंगे सारे कोर्ट

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December 6, 2022
in ताज़ा समाचार
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यूपी में बनेंगे एकीकृत न्यायालय परिसर, एक छत के नीचे होंगे सारे कोर्ट
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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

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10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

–आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

–आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

–आईएएनएस

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

–आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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लखनऊ, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट तक की भागदौड़ को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार सभी अदालतों को एक छत के नीचे लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों का चयन किया गया है। मंगलवार को विधानसभा से पास अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ दिए गए हैं।

अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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अनुपूरक बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स की महत्वपूर्ण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। इसी भावना के साथ सरकार 10 जिलों में एकीकृत न्यायालय परिसरों का निर्माण कराने जा रही है। इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के संबंध में उत्तर प्रदेश का एक समूह बीते दिनों गुजरात के बड़ौदा का अध्ययन करने गया था। यहां पर एकीकृत कोर्ट कांप्लेक्स का मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है। वहीं, एक उच्चस्तरीय बैठक में कॉम्प्लेक्स की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की संख्या में भी ढ़ोतरी हुई है। जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। बहुत से जगहों पर किराए के भवनों में अदालतें चल रही हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा, एक आदेश में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसे न्यायालय परिसरों के निर्माण का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण, गृह तथा विधि एवं न्याय विभाग इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। एकीकृत भवन में कोर्ट, जजों के चैवर, मीटिंग हॉल, विडियो कोर्ट, पॉकिंग, कैंटीन सहित सभी सुविधाओं के लिए जगह होगी।

10 जिलों में बनने जा रहे इस एकीकृत अदालत परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पाकिर्ंग और फूड प्लाजा भी होगा।

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