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चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया स्वागत

by
October 4, 2024
in राष्ट्रीय
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चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया स्वागत
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अमरावती, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश ने तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट की सीबीआई की निगरानी में जांच के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।

नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

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वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

–आईएएनएस

आरके/सीबीटी

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अमरावती, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश ने तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट की सीबीआई की निगरानी में जांच के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।

नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

–आईएएनएस

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अमरावती, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश ने तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट की सीबीआई की निगरानी में जांच के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।

नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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अमरावती, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश ने तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट की सीबीआई की निगरानी में जांच के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।

नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

–आईएएनएस

आरके/सीबीटी

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अमरावती, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश ने तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट की सीबीआई की निगरानी में जांच के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।

नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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अमरावती, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश ने तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट की सीबीआई की निगरानी में जांच के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।

नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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नायडू ने ट्वीट कर लिखा, “मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सत्यमेव जयते। ओम नमो वेंकटेशाय।”

वहीं शिक्षा मंत्री नारा लोकेश ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। लोकेश ने लिखा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें राष्ट्रीय एजेंसियों (सीबीआई और एफएसएसएआई) के अतिरिक्त सहयोग से चल रही जांच को मजबूत किया गया है। ये एजेंसियां ​​पवित्र तिरुपति लड्डू में मिलावट के पीछे के दोषियों की पहचान करने के लिए गठित एसआईटी का हिस्सा होंगी। सत्य की जीत होगी।”

उल्लेखनीय है कि गठित की जाने वाली नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर के आदेश के बाद, आंध्र प्रदेश पुलिस ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एसआईटी को 3 अक्टूबर तक जांच रोके रखने के लिए कहा था।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक द्वारका तिरुमाला राव ने घोषणा की थी कि एसआईटी अपनी जांच को अस्थायी रूप से रोक देगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायडू को अनिश्चित तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान देने से पहले ईश्वर को राजनीति से दूर रखना चाहिए था। वहीं राव ने सोमवार को कहा था कि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।

मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में तिरुपति मंद‍िर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए नायडू पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में एसआईटी ने तीन दिनों तक जांच की।

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