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Home ताज़ा समाचार

छऊ नृत्य को केदार नाथ साहू ने दिलाई थी विश्व स्तर पर पहचान, ‘पद्म श्री’ से हुए थे सम्मानित

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October 7, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

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दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास प्राचीन काल से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कला और साहित्य की अनेक गौरवशाली परंपराओं को निभाता आ रहा है, जिसमें लोक नृत्य कला भी अपना एक अलग स्थान रखता है। दुनियाभर में लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया नृत्य सम्राट उदय शंकर ने, लेकिन, इस परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के मशहूर लोक नृत्य कलाकारों में शुमार केदार नाथ साहू ने, जिन्होंने यूरोप-दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवाया।

केदार नाथ साहू की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, केदार नाथ साहू का जन्म साल 1921 को झारखंड के सरायकेला में हुआ था। वह सरायकेला शैली में छऊ नृत्य कलाकार थे। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दौर में विजय प्रताप सिंह देव के नेतृत्व वाली मंडली के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया समेत कई देशों में आयोजित हुए कार्यक्रमों में लोक नृत्य टीम को लीड किया।

यही नहीं, उन्होंने सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में 1974 से 1988 तक प्रशिक्षण भी दिया। केदार नाथ साहू के शिष्यों में मशहूर अमेरिकी-ओडिसी डांसर शेरोन लोवेन, गोपाल प्रसाद दुबे और शशधर आचार्य का नाम शामिल है।

इस बीच, साल 1981 में उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लोक नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें देश के चौथे नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। छऊ नृत्य के लिए पद्म सम्मान पाने वाले वह दूसरे शख्स थे।

हालांकि, अपने अंतिम दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। 8 अक्टूबर 2008 को कंसारी टोला में उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह शादीशुदा थे और उनके पांच बेटे और चार बेटियां थीं।

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