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Home ताज़ा समाचार

सेना की युद्ध क्षमता तेज करने के उद्देश्य से गंगटोक में कमांडर्स कॉन्फ्रेंस

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October 9, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस गुरुवार को सिक्किम के गंगटोक में आयोजित की जा रही है। यहां कमांडर सम्मेलन में स्वयं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचेंगे। यहां उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियां के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय सेना ने सुरक्षा चुनौतियों पर क्या प्रतिक्रिया दी है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चूंकि राष्ट्र कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए सिक्किम में शुरू होने वाला आगामी सेना कमांडरों का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

गौरतलब है कि डोकलाम, सिक्किम के समीप वह क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक फेस-ऑफ चला था, तभी से यहां से गुजरने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना रहता है।

सेना कमांडरों का वर्ष 2024 के लिए यह दूसरा सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। इसका पहला चरण 10 व 11 अक्टूबर को गंगटोक में एक अग्रिम सैन्य ठिकाने पर आयोजित किया जाएगा। दूसरे चरण में, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी 28 व 29 अक्टूबर को दिल्ली में एकत्र होंगे।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अग्रिम सैन्य ठिकाने पर वरिष्ठ कमांडरों का सम्मेलन आयोजित करना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि सेना वास्तविक स्थितियों का जायजा ले सके। यह सम्मेलन वरिष्ठ कमांडरों के लिए वर्तमान परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और भविष्य के निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के पहले चरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारतीय सेना की युद्ध क्षमताओं को तेज करने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा होगी। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा, उनमें एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का बढ़ता महत्व शामिल होगा। इसमें समकालीन खतरों का सामना करने के लिए नागरिक, सैन्य और राजनयिक स्तर की सूचना का समामेलन, सैन्य और आर्थिक (डीआईएमई) क्षेत्रों का एकीकरण शामिल है।

इसके अलावा युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का मुकाबला करने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर विचार होगा। भारतीय सेना द्वारा तकनीकी ज्ञान को आत्मसात करने के लक्ष्य के अनुरूप, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के संचार सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

सम्मेलन के दूसरे चरण में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा होगी। इसके बाद परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श होगा और विभिन्न बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें होंगी। इसमें सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी उपायों तथा योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

वरिष्ठ सेना कमांडर सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे। भारतीय सेना के वरिष्ठ कमांडरों का यह सम्मेलन सेना की तैयारी, बदलती स्थितियों में खुद को ढालने और सटीकता के साथ बचाव करने के संकल्प को मजबूत करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, हर परिस्थिति में मुकाबला करने में सक्षम और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

–आईएएनएस

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