जबलपुर. समूचा जिला में विगत करीब ढ़ाई माह से डेंगू की चपेट में हैं सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों में भी पैर रखने की जगह नहीं हैं. लोग खौफ के साए में जीने विवश हैं. अब भी हर रोज डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा हैं जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप का माहौल हैं लेकिन फिर भी सरकारी आंकड़ों में शहर में अब तक केवल 3 सौ मरीज ही दर्ज किए गए हैं हैरानी की बात ये हैं कि सरकारी आंकड़ों में वर्तमान में डेंगू का एक भी मरीज सामने नहीं आया हैं जबकि निजी अस्पताल अब भी डेंगू के मरीजों से इस कदर भरे हैं कि दूसरे मरीजों को पांव रखने के लिए जगह नहीं हैं.
चिकित्सा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डेंगू के मरीजों में डेंगू की पुष्टि के लिए जो टेस्ट होता हैं उसमें सिर्फ सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों के आंकड़ों को ही जोड़ा जा रहा हैं. इस टेस्ट की रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों में जोड़ा जाता है. यानि शासकीय चिकित्सकों की पुष्टि से ही डेंगू के मरीज की पुष्टि होती हैं.
जबकि इसके विपरीत निजी अस्पतालों में जो टेस्ट होता है उस टेस्ट को सरकारी आंकड़ों में नहीं जोड़ा जाता है, जिससे प्राइवेट अस्पतालों में मरीज बढ़ रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक 1 जनवरी 2024 से मरीजों को संख्या 338 हो चुकी है. जिसके बाद कहा जा रहा हैं कि डेंगू के मरीज सामने नहीं आए जबकि शहर भर में डेंगू की दस्तक अभी भी बनी हुई है.
सरकारी और निजी अस्पतालों में होते हैं अलग-अलग टेस्ट
चिकित्सा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी और निजी अस्पतालों में डेंगू का पता अलग-अलग टेस्ट से लगाया जाता हैं. इस वजह से सरकारी और निजी अस्पतालों के आंकड़ों में मरीजों की संख्या भी पृथक होती हैं. निजी अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता. जिससे निजी अस्पतालों में आने वाले डेंगू मरीजों के आंकड़े सरकारी रिकार्ड से गायब हैं.
सरकारी अस्पतालों में होता है एलिसा टेस्ट
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की टेस्ट के लिए एलिसा टेस्ट ही मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है, जिसके बाद ही डेंगू के मरीज की पुष्टि होती है. इसके विपरीत प्राइवेट अस्पतालों में कार्ड टेस्ट किया जाता है, जो सरकारी अस्पतालों में मान्य नहीं है. इधर निजी अस्पतालों में भले ही कार्ड टेस्ट कराकर उपचार करा लें लेकिन निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के आंकड़ों को शामिल नहीं किया जाता. इधर आए दिन डेंगू के मरीज निजी अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज कर रहे हैं.
इसलिए नहीं घटे पा रहे मरीज
चिकित्सा सूत्रों के साथ स्वास्थ्य विभाग के जानकारों का कहना हैं डेंगू के शहर में अब तक प्रकोप फैलने की वजह मुख्य रूप से जिम्मेदार निकायों की अकर्मण्यता हैं जिनके जिम्मे शहर की सफाई का दारोमदार हैं. डेंगू का प्रकोप इन विभागों में शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों के सिर्फ गाल बजाने से खत्म नहीं हो सकता, न हीं चंद स्थानों पर दवाइयों का छिड़काव कर इसके प्रकोप को दूर किया जा सकता हैं. इसके लिए अधिकारियों को उसी तरह सड़क पर उतर कर सफाई व्यवस्था का जायजा लेना होगा जितनी मुस्तैदी हाल ही में दुगोत्सव और दशहरा के दौरान अधिकारियों ने शहर की सड़कों पर उतर कर दिखाई थी.