जबलपुर. निर्दोष होने के बावजूद भी महिला को हत्या के अपराध में 14 साल का कारावास की सजा भुगतनी पडी. उसकी गर्भवती भाभी को एक तथा 3 साल के बच्चों के साथ लगभग साढ़े तीन माह तक जेल में रहना पडा. हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने पुलिस जांच की निंदा करते हुए 11 अभियोजन गवाह के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के आदेष जारी किये है.
खंडवा निवासी सूरज वाई तथा उसकी भाभी भूरी बाई ने साल 2010 में न्यायालय द्वारा देवर की हत्या के आरोपी में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. प्रकरण के अनुसार अपीलकर्ता सूरज अपने पति की मौत के बाद देवर हरी उर्फ भग्गू के साथ रहने लगी थी. घटना के 15 दिन पूर्व दोनों में विवाद हुआ था,जिसके कारण हरी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. अभियोजन के अनुसार 21 सितम्बर 2008 को हरी उर्फ भग्गू नीम के पेड़ में फांसी के फंदे पर लटका हुआ था. जिसे नीचे उतारने के बाद अपीलकर्ता सूरज बाई तथा उसकी भाई भूरी बाई उसे बैलगाडी से अस्पताल ले गये. अस्पताल में जांच करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया.
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पेड़ पर मृतक की लाश को लटकते हुए किसी ने नहीं देखा और अभियोजन पक्ष यह भी साबित करने नहीं कर सकता की दोनों महिलाएं हरि को बैलगाडी से अस्पताल ले गयी थी. गवाहों के अनुसार प्रकरण में नाबालिग आरोपी ने दूसरे दिन सुबह आकर घटना की जानकारी दी. जिसे अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया. घटना की रिपोर्ट मृतक के भाई सुरेश ने दर्ज कराई थी,जिसके बयान पुलिस ने पांच माह बाद दर्ज किये. इसके अलावा अस्पताल के जिस कर्मचारी ने हरि को मृत घोषित किया था ,पुलिस ने उसके बयान भी दर्ज नहीं किये.
अभियोजन के अनुसार नाबालिग सहित दोनों महिला ने हरि सिंह को जहर दिया और उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद आत्महत्या का रूप देने उसे पेड़ में लटका दिया. एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि मृत्यु का कारण कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट है. लिगेचर मार्क फांसी लगाने पर नहीं होते है.
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाहों के अनुसार 15 दिन पूर्व सूरज बाई तथा हरि के बीच झगडा हुआ था. हरि सिंह पर सूरज बाई तथा उसकी भाई भूरा बाई ने मिट्टी तेल डाला था. जिसके कारण हरि ने धारदार हथियार से सूरज बाई पर हमला किया था. जिसकी रिपोर्ट सूरज बाई ने थाने में दर्ज करवाई थी. रिकॉर्ड में इस बात का उल्लेख नहीं है कि दोनों महिलाओं ने उस पर मिट्टी तेल डाला था. इसके अलावा रात में उसने अपनी मॉ से कहा था कि वह सूरज बाई के साथ नही रहेगा. दूसरे दिन वह अपनी बहन के गांव गये तो कपड़ों में मिट्टी तेल के दाग थे,जो संभव नहीं है.
एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि अपीलकर्ता के बरामदे में पुलिस ने कीटनाशक दवाई की खाली बोतल मिली थी. गांव में जो लोग खेती करते है,उनके घर पर कीटनाशक दवाइयां होती है. पुलिस पूरी जांच में अभियोजन पक्ष के गवाहों के आधार पर विवेचना करती रही. एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा कि शत्रुता के कारण गवाहों ने दो महिलाओं के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करवाया गया,जबकि वह निर्दाेष थी. अपीलकर्ता की भाई गर्भवती थी और 1 साल की बेटी तथा तीन साल के बच्चे के साथ जेल जाना पडा. पूरे मामले में बच्चों का कोई दोष नहीं था. लगभग साढ़े तीन माह बाद उसके जमानत का लाभ मिल गया था.
अपीलकर्ता विगत 14 सालों से केंद्रीय जेल में निरुद्ध है. संबंधित न्यायालय ने भी इन मुद्दे पर विचार नहीं किया. आरोपी का एक मात्र हथियार जिरह है. केन्द्रीय जेल इंदौर की तरफ से बताया गया कि महिला की सजा 14 साल लगभग पूर्ण होने वाली है. एकलपीठ ने अभियोजन पक्ष के गवाह मृतक की मां सुकमा बाई,बहन फूल बाई,सेवंती बाई,भाई सुरेश थाना प्रभारी बी एस चौहान,पुलिस कर्मी एस आर रावत तथा एन के सूर्यवंशी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के आदेष देते हुए अपीलकर्ता महिला को रिहा करने के आदेष जारी किये है.