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Home ताज़ा समाचार

मंगोलिया में 70 साल बाद बकरियों में फैला कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया नामक संक्रामक रोग

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October 24, 2024
in ताज़ा समाचार
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उलानबटोर, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पशु चिकित्सा सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्वी मंगोलियाई प्रांत डोर्नोगोवी को सीसीपीपी के प्रकोप के कारण अनिश्चित अवधि के लिए कोरेंटाइन में रखा गया है।

संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

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प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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उलानबटोर, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पशु चिकित्सा सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्वी मंगोलियाई प्रांत डोर्नोगोवी को सीसीपीपी के प्रकोप के कारण अनिश्चित अवधि के लिए कोरेंटाइन में रखा गया है।

संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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उलानबटोर, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पशु चिकित्सा सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्वी मंगोलियाई प्रांत डोर्नोगोवी को सीसीपीपी के प्रकोप के कारण अनिश्चित अवधि के लिए कोरेंटाइन में रखा गया है।

संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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उलानबटोर, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पशु चिकित्सा सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्वी मंगोलियाई प्रांत डोर्नोगोवी को सीसीपीपी के प्रकोप के कारण अनिश्चित अवधि के लिए कोरेंटाइन में रखा गया है।

संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

–आईएएनएस

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उलानबटोर, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पशु चिकित्सा सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्वी मंगोलियाई प्रांत डोर्नोगोवी को सीसीपीपी के प्रकोप के कारण अनिश्चित अवधि के लिए कोरेंटाइन में रखा गया है।

संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

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संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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उलानबटोर, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पशु चिकित्सा सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्वी मंगोलियाई प्रांत डोर्नोगोवी को सीसीपीपी के प्रकोप के कारण अनिश्चित अवधि के लिए कोरेंटाइन में रखा गया है।

संक्रामक कैप्रिन प्लुरोनिमोनिया (सीसीपीपी) एक गंभीर बीमारी है, जो बकरियों को प्रभावित करती है, यह माइकोप्लाज्मा कैप्रिकोलम उपप्रजाति कैप्रीपन्यूमोनिया नामक जीवाणु के कारण होती है।

प्रांत के खतनबुलग और खुव्सगुल सोम्स (प्रशासनिक उपखंड) में लगभग 15,000 बकरियों के संक्रमित होने का अनुमान है। प्राधिकरण ने कहा कि बीमारी को रोकने, संक्रमित बकरियों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उपाय लागू किए जा रहे हैं।

प्राधिकरण के अनुसार मंगोलिया में सीसीपीपी रोग का प्रकोप 70 साल पहले सामने आया है।

यह अत्यधिक संक्रामक बीमारी संक्रमित बकर‍ियों के निकट संपर्क में रहने वाले जानवरों में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, बुखार और सांस संबंधी समस्याएं, खांसी और नाक से स्राव शामिल हैं।

गौरतलब है क‍ि मंगोलिया दुनिया के आखिरी बचे हुए खानाबदोश देशों में से एक है, जहां पशुधन पालन भूमि से घिरे इस देश की खनन-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2023 के अंत तक देश में 64.7 मिलियन पशुधन थे, जिनमें से 38.1 प्रतिशत बकरियां थीं।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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