बेंगलुरु, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार ने सोमवार को उपचुनावों से पहले अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के भीतर आंतरिक आरक्षण देने का फैसला किया है।
कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद विधानसभा में यह घोषणा की। उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित कर रिपोर्ट मांगने का निर्णय लिया गया है।
रिपोर्ट मिलने, डेटा और तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। पाटिल ने कहा कि आयोग को तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने को कहा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के बीच आंतरिक आरक्षण देने के निर्देश जारी किए थे। पाटिल ने कहा कि इस संदर्भ में, सीएम सिद्दारमैया की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल में विस्तृत चर्चा की गई और एससी श्रेणी के भीतर आंतरिक आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
इस संदर्भ में भविष्य की भर्ती रोक दी गई हैं। पाटिल ने कहा कि आज से यदि कोई नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, तो सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रमुख दलित नेता, समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा, आरडीपीआर, आईटी और बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे और खाद्य मंत्री केएच मुनियप्पा ने मीडिया ब्रीफिंग में हिस्सा लिया और कहा कि सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है।
मंत्री महादेवप्पा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार आंतरिक आरक्षण दिया जाएगा। आयोग को दिए जाने वाले संदर्भ की शर्तें इस निर्णय से संबंधित संदेहों और चिंताओं को स्पष्ट करेंगी।
मंत्री केएच मुनियप्पा ने कहा कि इस निर्णय को लेकर समुदाय के नेताओं और कैबिनेट सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं ऐतिहासिक निर्णय लेने के लिए सीएम सिद्दारमैया को धन्यवाद देता हूं। मुझे लगता है कि मेरे दशकों के संघर्ष का फल मिला है। इस मामले में सभी दलित नेता एक साथ हैं।”
हालांकि, कर्नाटक भाजपा ने सरकार की आलोचना की है और 101 उप-जातियों सहित अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों से आगामी तीन विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को ‘सबक सिखाने’ तथा एनडीए उम्मीदवारों का समर्थन करने का आग्रह किया है।
–आईएएनएस
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