हरिद्वार, 7 नवंबर (आईएएनएस)। छठ महापर्व के मौके पर हरिद्वार के बाजार ग्राहकों की आमद से गुलजार हैं। सभी जमकर खरीदारी कर रहे हैं। लोगों में इस त्योहार को लेकर उत्साह और उमंग देखने को मिल रहा है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हो चुकी है। गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो जाएगा। यह त्योहार पूर्वांचल, बिहार और झारखंड में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन, अब यह त्योहार पूरे विश्व में लोकप्रिय होता जा रहा है।
छठ के मौके पर हरिद्वार के ज्वालापुर गंगा घाट में विशेष तैयारियां की गई है। छठ व्रतियों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो, इसके लिए प्रशासन की तरफ से सभी व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं। सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
छठ पर्व का महत्व अब सीमाओं से परे जाकर पूरे देश-विदेश में महसूस किया जा रहा है। यह व्रत अपने कठोर अनुशासन और नियमों के लिए जाना जाता है। इसमें व्रती महिलाएं नहाय-खाय से इस पर्व की शुरुआत करती हैं। इस दौरान विशेष रूप से चावल, लौकी की सब्जी और अरहर की दाल का सेवन किया जाता है।
आज 7 नवंबर की शाम को सूर्यास्त के समय महिलाएं सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इसके बाद पूरी रात संध्या आरती के पश्चात महिलाएं सूर्य उदय की प्रतीक्षा में जागरण करेंगी। अगले दिन 8 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह तीन बजे से व्रती महिलाएं छठी मईया की आराधना करेंगी और सूर्योदय के समय सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करेंगी।
पूर्वांचल छठ पूजा समिति के अध्यक्ष मदन साहू ने कहा, “हम पिछले 20 सालों से छठ पूजा का यहां संचालन कर रहे हैं। हमने पूरी तैयारी कर ली है। किसी भी श्रद्धालु को कोई दिक्कत ना हो। यह हमारी कोशिश है। यह चार दिन का पर्व होता है। इसमें पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है। घरों में शुद्धता रखी जाती है। यह बहुत ही शुद्ध पर्व है। इसमें कई नियमों का कठोरता से पालन किया जाता है। शाम को आपको घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु देखने को मिलेंगे। इसके लिए यहां विशेष तैयारी की गई है।”
श्रद्धालु माधुरी ने कहा, “हम लोग इस पर्व को लेकर उत्साहित हैं। हम शाम को पांच बजे घाट पर जाएंगे। हम पूजा की सामाग्री लेकर घाट में पूजा करेंगे। आज हम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे और इसके बाद कल उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। यह चार दिन का पर्व होता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद खरना होता है। इसके बाद अस्ताचलगामी और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह से चार दिन के अंदर इस पूर्व का समापन होता है। पूरे साल हमें इस पर्व का इंतजार रहता है। लोगों में इस पर्व को लेकर उत्साह का माहौल देखने को मिलता है।”
–आईएएनएस
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