नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। निखिल आडवाणी की ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ वेब सीरीज चर्चा का विषय बनी हुई है। सीरीज के प्रमोशन के दौरान एक अंग्रेजी समाचार पत्र को उन्होंने इंटरव्यू दिया। जिसमें उन्होंने सीरीज में सांप्रदायिक रंग नहीं डालने पर बयान दिया, तो डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने सवाल खड़े किए।
दरअसल, निखिल आडवाणी की ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ वेब सीरीज 15 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। सीरीज की कहानी 1947 के भारत -पाकिस्तान विभाजन पर आधारित है।
निर्देशक निखिल आडवाणी अपने प्रोजेक्ट के प्रमोशन में जुटे हुए हैं। इस दौरान एक दैनिक अंग्रेजी समाचार को दिए साक्षात्कार में उन्होंने स्टोरी के ट्रीटमेंट को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ इतना कर सकता हूं कि आपको उस कमरे में (नेताओं के साथ) या देश भर में हो रहे दंगों के बीच में रख दूं। मैं घटनाओं को सांप्रदायिक रंग नहीं दे रहा हूं। दंगों के सभी दृश्य श्वेत-श्याम हैं। क्योंकि मेरे लिए दंगे डर, भ्रम और पागलपन को दर्शा रहे थे। एक फिल्म निर्माता के तौर पर मेरा काम आपको वहां रखना है और फिर आप बता सकते हैं कि नेताओं ने सही फैसला लिया या नहीं।”
निखिल आडवाणी के इस बयान पर कश्मीर फाइल्स जैसी चर्चित फिल्म बना चुके विवेक अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
अग्निहोत्री ने समाचार पत्र की कटिंग को पोस्ट करते हुए लिखा, “प्रिय निखिल, माद्दा है तो सच बोलो। यदि तुम भारत के विभाजन के हिंसक, सांप्रदायिक इतिहास को प्रस्तुत करने जा रहे हो, तो कम से कम यह दिखाने की हिम्मत तो रखो कि अपराधी कौन था और पीड़ित कौन था?
सबसे पहले, यह केवल दंगा नहीं था, यह एक हिंदू नरसंहार था, और इसका एक धार्मिक रंग था।
तुम हमारे इतिहास को मिटाने की कोशिश क्यों कर रहे हो, या जैसा कि जागरूक लोग कहते हैं, उसे गलत साबित करने की कोशिश क्यों कर रहे हो? अपनी आत्मा बेच कर हमारे इतिहास के साथ खिलवाड़ मत करो।
यदि तुम कभी महाभारत बनाओगे, तो क्या पूरा युद्ध श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) में इतना धुंधला हो जाएगा कि कोई नहीं जान पाएगा कि कौन धर्म के लिए खड़ा था और कौन नहीं?
सत्य के साथ खड़े रहो। केवल जागरूक मत बनो, डट कर लड़ने का साहस भी रखो।”
–आईएएनएस
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