जबलपुर. जिले में कहीं मुख्य चौराहों और कहीं शहर में निर्धारित तैनाती के स्थान से विरत कमाई के लिए कुख्यात निर्धारित क्षेत्रों में एक दो सिपाहियों के साथ खड़े होकर वाहनों के चैकिंग करते खड़े यातायात पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मानवीय संवेदनाएं शायद खत्म हो चुकी हैं.
गत दिवस अंबेडकर चौक पर हुई घटना इसकी बानगी दे रही हैं. यहां विशेष तौर पर कार चालकों को रोक कर जांच कर रहे यातायात विभाग के एक सुबेदार और दो सिपाहियों की न तो सिर पर पट्टी बांध कर उपचार कराने जा रहे युवक की स्थिति देख कर संवेदना जागी, न हीं उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाने की बैचेनी गाड़ी चला रही युवक की बहन और साथ बैठे उसके पिता की आंखों में नजर आईं.
युवक के सिर पर बंधी पट्टी देख क्रूर से क्रूर पुलिस कर्मी भी शायद उपचार में बाधा न डालता लेकिन अंबेडकर चौराहे पर खड़े सुबेदार और दो सिपाहियों ने इस वाहन को अकारण न सिर्फ आधे घंटे तक रोके रखा बल्कि वाहन संबंधी समस्त दस्तावेजों की जांच के बावजूद अनावश्क रूप से एक चालान भी काट दिया.
यह स्थिति जिले के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के साथ निर्मित हुई जो अपने पुत्र को उपचार के लिए ले कर जा रहे थे, साथ में उनकी बेटी भी थी. प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि उनके परिचय देने के बावजूद जब यह स्थिति निर्मित हुई तो सामान्य नागरिक जो किसी अत्यावश्यक कार्य से कहीं जा रहे हों उनकी स्थिति क्या होती होगी अंदाजा लगाया जा सकता हैं. मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी संपत उपाध्याय ने एएसपी ट्रैफिक संतोष कुमार शुक्ला को मामले की जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
यह हुआ था घटनाक्रम
प्रत्यक्षदर्शियों एवं पीडि़त प्रशासनिक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार वे अपने पुत्र को गिरने की वजह से सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में आई चोटों की वजह से उपचार के लिए लेकर जबलपुर हॉस्पिटल जा रहे थे. उनके साथ उनकी बेटी भी थी. वे शाम करीब साढ़े 7 बजे कार से अंबेडकर चौक पर पहुंचे ही थे कि वहां वाहनों की जांच कर रहे सुबेदार रोहित तिवारी एवं दो सिपाहियों ने उनके वाहन को रोक लिया. उन्होंने बताया कि वाहन में साथ में घायल पुत्र हैं जिसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना जरूरी हैं लेकिन यातायात विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों का दिल सिर पर पट्टी बांधे बैठे युवक को देख कर भी नहीं पसीजा.
पहले करीब 15 से 20 मिनट तक अन्य वाहनों की जांच के नाम पर उन्हें रोका गया इसके बाद पीडि़त अधिकारी के बार-बार आग्रह करने के बावजूद सुबेदार और सिपाहियों ने वाहन के पूरे दस्तावेजों की जांच की. कोई कमी न मिलने के बावजूद जबरन एक चालान भी काट दिया. इन सब के चलते घायल बेटे को उपचार कराने में करीब आधे घंटे से अधिक का विलंब हो गया. अधिकारी ने कहा कि कम से कम बीमार या घायल मरीजों के साथ तो पुलिस कर्मियों को जांच में थोड़ी संवेदनशीलता दिखानी चाहिए.
हो रही हैं जांच
पुलिस अधीक्षक द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि इस तरह के मामलों में पुलिस अधिकारी एवं पुलिस कर्मी संवेदनशीलता बरतें और किसी परिवार या फिर किसी बीमार के साथ इस तरह का व्यवहार न किया जाए. पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में यह मामला आ गया हैं उनके निर्देशों के बावजूद किस पुलिस कर्मी ने इस तरह का व्यवहार किया गया इसकी जांच के निर्देश दिए गए हैं. पीडि़त परिवार जैसे है अपने परिजन का उपचार करा लेते हैं उनसे चर्चा कर मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी. दोषी पुलिस कर्मियों को बक्शा नहीं जाएगा.
संतोष कुमार शुक्ला
एएसपी ट्रैफिक