deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

ग्रामीण भारत में एफएमसीजी वस्तुओं की खपत बढ़ी, 2 वर्षों में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज: रिपोर्ट

by
November 12, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

READ ALSO

भारत को पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलना चाहिए था: मुमताज पटेल

वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में भारतीय बेटियों जीत पर सीएम मोहन माझी ने दी बधाई

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

ADVERTISEMENT

मुंबई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। ग्रामीण भारत पिछले कुछ समय से सुविधा उत्पादों को प्राथमिकता देने लगा है। सुविधा उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही एफएमसीजी वस्तुओं की ग्रामीण इलाकों में खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

हाल ही में जारी लेटेस्ट ग्रुप एम और कंतार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत के ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच औसत एफएमसीजी बास्केट के आकार में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि सुविधा उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के कारण है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण भारत में औसत बास्केट के आकार में 2022 में 5.88 से 2024 में 9.3 तक मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो कि आरटीई, पेय पदार्थ जैसी सुविधा कैटेगरी में अधिक खपत के कारण है।”

यह ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही जीवनशैली और बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि, ग्रामीण भारत में इस बदलाव को लेकर क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद हैं। जम्मू और कश्मीर में 39 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत और ओडिशा में 26 प्रतिशत के साथ राज्यों में कम वित्तीय चिंताओं के बावजूद एफएमसीजी बास्केट में मध्यम वृद्धि देखी गई है।

2024 ग्रामीण बैरोमीटर रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी कैटेगरी बास्केट के विस्तार में यह सकारात्मक प्रवृत्ति ग्रामीण आय में वृद्धि और आय स्रोतों की विविधता के साथ है।

इस रिपोर्ट में केवल कृषि आय वाले ग्रामीण कुल आबादी का 19 प्रतिशत दिखाए गए हैं। वहीं, विविध आय स्रोतों वाले लोग शेष 81 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कृषि आय पर निर्भर रहने वाले लोगों को अधिक वित्तीय चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो इनमें से 82 प्रतिशत को प्रभावित करता है।

वहीं, जिनके पास विविध आय स्रोत हैं वे कम तनाव में रहते हैं तो एफएमसीजी वस्तुओं का ज्यादा आनंद लेते हैं।

मीडिया उपभोग के मामले में, ग्रामीण भारत तेजी से एक हाइब्रिड मॉडल अपना रहा है जो पारंपरिक और डिजिटल मीडिया को जोड़ता है। इसमें 47 प्रतिशत आबादी इस ट्रेंड में शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बेहतर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिक साफ दिखाई देता है। हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डिजिटल रूप से कम जुड़े हुए हैं।

भारत में ग्रुपएम ओओएच सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अजय मेहता ने कहा: “ग्रामीण भारत अब केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं रह गया है; यह अवसरों से भरपूर डिजिटल फ्रंट के तौर पर उभरा है। ग्रामीण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफार्म को अपना रहे हैं।”

जैसे-जैसे ग्रामीण भारत विकसित हो रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भुगतान और ई-कॉमर्स से लेकर गेमिंग और लाइफस्टाइल कंटेंट तक, डिजिटल परिदृश्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वहीं, पारंपरिक मीडिया अभी भी प्रभावी है लेकिन इसके साथ ही हाइब्रिड तरीका जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों में उपलब्ध है भी प्रभावशाली बना हुआ है। ग्रामीण श्रोताओं/दर्शकों को सहजता से जोड़ रहा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझकर, ब्रांड इस बाजार की विकास क्षमता का फायदा उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ता फैशन, स्वास्थ्य और यात्रा जैसी लाइफस्टाइल से जुड़े कंटेंट की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ग्रामीण भारत में डिजिटल पेमेंट की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो अब एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के साथ 42 प्रतिशत तक पहुंच गई है ।

ई-कॉमर्स, एक्टिव इंटरनेट यूजर्स के 23 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।

–आईएएनएस

एसकेटी/

Related Posts

ताज़ा समाचार

भारत को पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलना चाहिए था: मुमताज पटेल

September 15, 2025
ताज़ा समाचार

वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में भारतीय बेटियों जीत पर सीएम मोहन माझी ने दी बधाई

September 15, 2025
ताज़ा समाचार

एशिया कप : ऑपरेशन ‘व्हाइट बॉल’ में जीत का ‘दीपक’ जला गए कुलदीप, फिरकी में फंसा पाकिस्तान

September 15, 2025
ताज़ा समाचार

नारायण गुरुदेव ने समाज को दिशा और सोचने का नया तरीका दिया: सीएम रेखा गुप्ता

September 15, 2025
ताज़ा समाचार

भिक्षा आश्रित के घरों की स्थिति में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट का दिशानिर्देश जारी

September 15, 2025
ताज़ा समाचार

पीएम मोदी 22 सितंबर को पुनर्विकसित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का करेंगे उद्घाटन: सीएम साहा

September 15, 2025
Next Post

छात्रों के प्रति सरकार का रवैया क्रूर नहीं, बल्कि सहयोग और सहानुभूति का होना चाहिए : मायावती

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

100345
Total views : 5978682
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In