deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

by
December 7, 2022
in ताज़ा समाचार
0
डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

READ ALSO

कमल हासन से राम चरण तक, साउथ इंडियन स्टार्स ने कुछ ऐसे मनाया 79वां स्वतंत्रता दिवस

अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत को दी स्वतंत्रता की शुभकामनाएं, दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने पर दिया जोर

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

ADVERTISEMENT

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

दास ने कहा कि निजता को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीके/एएनएम

Related Posts

ताज़ा समाचार

कमल हासन से राम चरण तक, साउथ इंडियन स्टार्स ने कुछ ऐसे मनाया 79वां स्वतंत्रता दिवस

August 15, 2025
ताज़ा समाचार

अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत को दी स्वतंत्रता की शुभकामनाएं, दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने पर दिया जोर

August 15, 2025
ताज़ा समाचार

केंद्र ने निजी वाहनों के लिए फास्टैग-बेस्ड एनुअल टोल पास किया लॉन्च

August 15, 2025
ताज़ा समाचार

103 मिनट का लंबा भाषण देने के बाद एनसीसी कैडेट्स से मिले पीएम मोदी, उत्साहित युवा बोले- हमारे लिए ये अविस्मरणीय

August 15, 2025
ताज़ा समाचार

पीएम मोदी किसानों के लिए सब कुछ बर्दाश्त करने को तैयार: गिरिराज सिंह

August 15, 2025
ताज़ा समाचार

गौतम अदाणी ने स्वतंत्रता दिवस पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति अपना संकल्प दोहराया

August 15, 2025
Next Post
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन बने बी20 इंडिया के अध्यक्ष, बिज एजेंडे का करेंगे नेतृत्व

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन बने बी20 इंडिया के अध्यक्ष, बिज एजेंडे का करेंगे नेतृत्व

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

093457
Total views : 5944399
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In