नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्नाटक के स्थानीय ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान की पहली किस्त के रूप में 448.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
–आईएएनएस
एबीएस/एबीएम
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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्नाटक के स्थानीय ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान की पहली किस्त के रूप में 448.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्नाटक के स्थानीय ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान की पहली किस्त के रूप में 448.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
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वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
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सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
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वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
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सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
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बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
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बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
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वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
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सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
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बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
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भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्नाटक के स्थानीय ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान की पहली किस्त के रूप में 448.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्नाटक के स्थानीय ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान की पहली किस्त के रूप में 448.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्नाटक के स्थानीय ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग अनुदान की पहली किस्त के रूप में 448.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
बयान में कहा गया कि यह फंड सभी पात्र 5,949 ग्राम पंचायतों के लिए है।
सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी करने की सिफारिश की गई है, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान को वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाएगा।
वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित 29 विषयों के तहत, अनटाइड अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए किया जाएगा। टाइड अनुदान का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्टेट्स को बनाए रखने के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है। इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन (विशेष रूप से मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन), पीने के पानी और वर्षा जल की आपूर्ति शामिल है।
भारत सरकार पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान प्रदान करके ग्रामीण स्वशासन को मजबूत करने के लिए मजबूत कदम उठा रही है। यह फंडिंग स्थानीय शासी निकायों को अधिक प्रभावी, जिम्मेदार और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ और स्थायी प्रगति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के तहत यह पहल ऐसे विकास को बढ़ावा देती है, जिससे सभी को लाभ होता है और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।