जबलपुर. निजी स्कूलों फीस के खिलाफ प्रशासन पुलिस की कार्रवाई के चाबुक के बाद निजी स्कूलों में कुछ अलग ही मंजर देखने मिल रहा हैं. इधर निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई जोर-शोर से जारी हैं और उधर स्कूलों में स्कूल प्रबंधकों की स्थिति खिसियानी बिल्ली जैसी बन गई हैं जो अब अपने ही स्कूल के बच्चों को इस तरह प्रताडि़त कर रहे हैं कि अभिभावक भी सकते में हैं.
कहीं अधिक फीस जमा करने का दबाव बनाकर बच्चों को अलग कमरे में बंद किया जा रहा है कहीं अभिभावकों को बच्चों का साल खराब करने की धमकी मिल रही है. प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई से बेखौफ निजी स्कूलों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि लगातार कार्रवाई होने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. अभिभावकों की शिकायत पर बाद फीस वृद्धि और स्कूल प्रशासन की अनियमितता के खिलाफ जिला प्रशासन का रुख सख्त है. इसके बाद भी स्कूलों द्वारा बच्चों को फीस जमा करने की बात कह कर लगातार प्रताडि़त किया जा रहा है.
स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल का मामला
बीते दिनों लगभग डेढ़ सौ बच्चों को बंधक बनाने के आरोप के साथ एक निजी स्कूल के विरोध में अभिभावकों ने भारी प्रदर्शन किया था. अभी भी स्कूल अपनी हठधर्मिता से पीछे नहीं है रहे हैं. ताजा मामला जबलपुर के स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल का है जहां पर पहले तो छात्रा के अभिभावकों को मन मुताबिक फीस जमा न करने पर स्कूल से निकाल देने की धमकी दी गई और उसके बाद दूसरे दिन छात्रा को सबके सामने अपमानित करने के लिए उसकी कक्षा से निकाल कर एक अलग कमरे में घंटों बैठाया गया.
स्कूल प्रबंधन और प्रशासन दोनों है मौन
इस मामले में जब स्कूल प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया वहीं जिला शिक्षा अधिकारी भी मीडिया कर्मियों से कह रहे हैं कि यह मामला कोर्ट में लंबित है और इस पर वह बयान नहीं दे सकते.
बच्चों को बनाया जा रहा मोहरा
शहर के निजी स्कूलों के द्वारा बच्चों को लगातार फीस के लिए प्रताडि़त किया जा रहा है. विजयनगर जबलपुर के स्टेम फील्ड इंटरनेशनल में सातवी क्लास में पढऩे वाली छात्रा को स्कूल प्रशासन के द्वारा फीस जमा न होने पर घंटों लाइब्रेरी में बैठा कर रखा गया. उसके बाद छात्रा के द्वारा स्कूल के फोन से परिजनों को फोन लगाकर उसे स्कूल से ले जाने की बात कही. तीन दिन पहले भी छात्रा को क्लास रूम से बुलाकर नीचे कंपाउंड में घंटों बैठाया गया था.
मतदान करने जरूरी होगा पहचान पत्र
साथ ही फीस जमा न होने पर स्कूल नहीं आने की बात कही गई. छात्रा के अभिभावक ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सूत्र को दी है जिसमें स्कूल की और से या साफ कहा जा रहा है कि यदि फीस जमा न हो तो कल से छात्रा को स्कूल मत भेजना. हालांकि, अभिभावक जिला समिति के द्वारा तय की गई फीस जमा करने को तैयार हैं. लेकिन स्कूल के द्वारा अपनी मनमर्जी की अवैध फीस सहित लेट फीस भी जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
प्रशासन-स्कूल माफिया के बीच पिस रहे बच्चे
स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल के द्वारा फीस के लिए प्रताडि़त छात्रा के पिता ने बताया कि प्रशासन और स्कूल माफिया के बीच बच्चे पिस रहे हैं. क्योंकि जिला प्रशासन के द्वारा अवैध फीस वसूली में स्कूलों पर कार्रवाई करके फीस का निर्धारण किया गया था. इसके बाद छात्रा के पिता के द्वारा निर्धारित फीस दर पर फीस जमा की जाती है तो स्कूल प्रशासन के द्वारा यह कहकर मना कर दिया जाता है कि उनके फीस निर्धारण का कोई भी आदेश नहीं है.
इसके बाद लगातार तीन महीनों से परेशान अभिभावकों ने जबलपुर क्चश्वह्र ऑफिस से फीस निर्धारण संबंधी जानकारी स्कूल प्रशासन को लाकर दी. जिससे यह साबित होता है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा निर्धारित फीस आदेश को प्राप्त कर पावती भी दी गई है. झूठ की पोल खोलने के बाद भी स्कूल इस आदेश को मानने को तैयार नहीं है और अब फीस के साथ लेट फीस की भी मांग कर रहा है. छात्रा के परिजनों ने इस मांग का विरोध किया और गवर्नमेंट और स्कूल प्रशासन के बीच फीस निर्धारण में बच्चों को प्रताडि़त किए जाने की बात कही है.
हाईकोर्ट से सिर्फ दंडात्मक कार्रवाई पर है स्टे
दरअसल निजी स्कूलों के द्वारा अवैध फीस वसूली करने और अनियमितताओं के कारण जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के द्वारा जांच कमेटी के परिणाम पर स्कूलों द्वारा की गई. अवैध फीस वसूली को वापस करने और स्कूल प्रबंधन पर स्नढ्ढक्र दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई करने की निर्देश जारी किए गए थे और कुछ निजी स्कूल संचालकों को गिरफ्तार भी किया गया था. इसके बाद स्कूल प्रशासन के द्वारा कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दायर की गई जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में याचिका पर सुनवाई करते हुए इस याचिका पर अगली सुनवाई तक स्कूल प्रबंधकों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश जारी किया गया था.
अब तक हुई इस मामले की किसी भी सुनवाई में जिला शिक्षा समिति के द्वारा जारी किए गए आदेश पर कोई स्थान नहीं मिला है और जिला जांच कमेटी के द्वारा निर्धारित की गई स्कूली फीस पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगाई है. हालांकि सिंगल बेंच के द्वारा पिछले आदेश में स्कूलों को यह राहत दी गई थी कि वह राज्य शिक्षा समिति में अपील कर सकते हैं. पर इस आदेश के तहत भी जिला शिक्षा समिति के द्वारा जारी किए गए आदेशों पर स्थगन नहीं मिलता. ऐसे में कानूनी स्थिति तो यह है कि इन निजी स्कूलों को जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा जारी किए गए निर्देशों को तब तक मानने की बाध्यता है, जब तक किसी अन्य अदालत से इस पर कोई आदेश नहीं आ जाता. लेकिन यह कोर्ट का हवाला देकर अभी भी अवैध वसूली के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं.
24 निजी स्कूलों से 166 करोड़ रुपए की वसूली है लंबित
जबलपुर में कलेक्टर दीपक सक्सेना के द्वारा लगातार निजी स्कूलों पर अवैध फीस वसूली करने और स्कूलों की द्वारा की जाने वाली अनियमितताओं पर कार्यवाही की जा रही है. जिसमें स्कूलों के द्वारा 15 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि नियम विरुद्ध की गई है. निजी स्कूलों के द्वारा यह रकम अभिभावकों से वसूल ली गई है. निजी स्कूलों पर (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम, 2017 के अंतर्गत मिली शिकायतों की जांच कर जिले के 24 प्रमुख स्कूलों पर कार्यवाही करते हुए 166 करोड़ रुपए की अवैध वसूली को वापस किए जाने का निर्देश जारी किया गया था.
जबलपुर जिले में हजारों छात्रों के अभिभावकों से अवैध फीस वसूली कर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया है. जिसमे मई 2024 में 11 निजी स्कूलों से 81 करोड रुपए ,सितंबर 2024 में 8 निजी स्कूलों से 54 करोड़ रुपए और नवंबर 2024 में 5 निजी स्कूलों के द्वारा 31 करोड़ रुपए की अवैध वसूली फीस के रूप में की गई है. या फीस अवैध घोषित हो जाने के बाद भी निजी स्कूल इस रकम को अभिभावकों को लौटाने की बजाय और अवैध वसूली करने पर उतारू है.