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Home ताज़ा समाचार

राहुल गांधी के सिखों को लेकर विवादित बयान पर फैसला सुरक्षित, आज आ सकता है फैसला

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November 28, 2024
in ताज़ा समाचार
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वाराणसी, 28 नवंबर (आईएएनएस)। अमेरिका में सिखों को लेकर राहुल गांधी के दिए गए बयान के खिलाफ अब कोर्ट का फैसला आने वाला है। 11 सितंबर 2023 को राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान अमेरिका में यह बयान दिया था, जिस पर गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आदेश आने की संभावना है। पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र ने राहुल गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दाखिल की थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया जा सकता है।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

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वाराणसी, 28 नवंबर (आईएएनएस)। अमेरिका में सिखों को लेकर राहुल गांधी के दिए गए बयान के खिलाफ अब कोर्ट का फैसला आने वाला है। 11 सितंबर 2023 को राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान अमेरिका में यह बयान दिया था, जिस पर गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आदेश आने की संभावना है। पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र ने राहुल गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दाखिल की थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया जा सकता है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

वाराणसी, 28 नवंबर (आईएएनएस)। अमेरिका में सिखों को लेकर राहुल गांधी के दिए गए बयान के खिलाफ अब कोर्ट का फैसला आने वाला है। 11 सितंबर 2023 को राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान अमेरिका में यह बयान दिया था, जिस पर गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आदेश आने की संभावना है। पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र ने राहुल गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दाखिल की थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया जा सकता है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

–आईएएनएस

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वाराणसी, 28 नवंबर (आईएएनएस)। अमेरिका में सिखों को लेकर राहुल गांधी के दिए गए बयान के खिलाफ अब कोर्ट का फैसला आने वाला है। 11 सितंबर 2023 को राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान अमेरिका में यह बयान दिया था, जिस पर गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आदेश आने की संभावना है। पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र ने राहुल गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दाखिल की थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया जा सकता है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

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वाराणसी, 28 नवंबर (आईएएनएस)। अमेरिका में सिखों को लेकर राहुल गांधी के दिए गए बयान के खिलाफ अब कोर्ट का फैसला आने वाला है। 11 सितंबर 2023 को राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान अमेरिका में यह बयान दिया था, जिस पर गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आदेश आने की संभावना है। पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र ने राहुल गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दाखिल की थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया जा सकता है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट सेकंड के कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें राहुल गांधी पर भड़काऊ बयान देने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राहुल गांधी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। यह याचिका तिलमापुर के पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर की गई थी। आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सिखों को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में कठिनाई हो रही है।

नागेश्वर मिश्र का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए था, और इस बयान के बाद देश में सिखों के खिलाफ माहौल और भी बिगड़ा। इसके अलावा, इस बयान का समर्थन कनाडा-अमेरिका में रहने वाले वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी किया, जिसने कहा कि राहुल गांधी ने सही कहा है। यह बयान उस समय सामने आया था जब राहुल गांधी ने अमेरिका में भारतीय राजनीति और सिखों के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से न केवल सिखों की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह भारत में सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास था। राहुल गांधी का यह बयान हिंसा फैलाने और देश के अंदर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनाने के उद्देश्य से था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 2019 में हुई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी का नाम सामने आया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लोगों को भड़काया और शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिनका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी और इस तरह की बयानबाजी से शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन का जन्म हुआ। शाहीन बाग में हिंसा के बाद यह प्रदर्शन समाप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में सिखों पर दिए गए बयान सं संबंधित मामले में आज फैसला आना है। इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज उम्मीद की जा रही है कि अदालत का आदेश जल्द ही आएगा। हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क रखा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारत विरोधी था और इसे जनभावनाओं को आहत करने के रूप में देखा जाना चाहिए। मैंने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है और हम अब एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

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