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Home ताज़ा समाचार

डिस्पैच में मेरा किरदार चुनौतियों से भरा : मनोज बाजपेयी

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November 28, 2024
in ताज़ा समाचार
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मुंबई, 28 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘डिस्पैच’ में एक खोजी पत्रकार की भूमिका निभाई है। फिल्म भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में दिखाई गई और बाजपेयी की अदाकारी को सबने सराहा भी। वहीं एक्टर ने इसका श्रेय कहानी की ट्रीटमेंट को दिया और निर्देशक कनु बहल की तारीफ की।

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‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

कहानी पेशेवर महत्वाकांक्षाओं और निजी जिंदगी की चुनौतियों पर केंद्रित है। जॉय की जिंदगी एक पल उलझी तो दूसरे पर सुलझी दिखती है।

लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

मनोज ने कहा, ”मेरा किरदार इसमें आपको बांध कर रख सकता है। किरदार परिस्थितियों के हिसाब से नहीं आगे बढ़ता है बल्कि अपने भीतर मची हल चल से परेशान है। ये हकीकत से परे है।

मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

वेरायटी डॉट कॉम को बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने किरदार को गढ़ने में कइयों की मदद ली। उन्होंने कहा था, “मेरे कई करीबी दोस्त हैं जो दिल्ली और मुंबई के खोजी पत्रकार हैं, जिनसे मैं कई वर्षों से मिल रहा हूं ताकि उनकी नौकरी की प्रकृति और संघर्ष को समझ सकूं।”

–आईएएनएस

एमकेएस/केआर

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मुंबई, 28 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘डिस्पैच’ में एक खोजी पत्रकार की भूमिका निभाई है। फिल्म भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में दिखाई गई और बाजपेयी की अदाकारी को सबने सराहा भी। वहीं एक्टर ने इसका श्रेय कहानी की ट्रीटमेंट को दिया और निर्देशक कनु बहल की तारीफ की।

‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

कहानी पेशेवर महत्वाकांक्षाओं और निजी जिंदगी की चुनौतियों पर केंद्रित है। जॉय की जिंदगी एक पल उलझी तो दूसरे पर सुलझी दिखती है।

लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

मनोज ने कहा, ”मेरा किरदार इसमें आपको बांध कर रख सकता है। किरदार परिस्थितियों के हिसाब से नहीं आगे बढ़ता है बल्कि अपने भीतर मची हल चल से परेशान है। ये हकीकत से परे है।

मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

वेरायटी डॉट कॉम को बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने किरदार को गढ़ने में कइयों की मदद ली। उन्होंने कहा था, “मेरे कई करीबी दोस्त हैं जो दिल्ली और मुंबई के खोजी पत्रकार हैं, जिनसे मैं कई वर्षों से मिल रहा हूं ताकि उनकी नौकरी की प्रकृति और संघर्ष को समझ सकूं।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘डिस्पैच’ में एक खोजी पत्रकार की भूमिका निभाई है। फिल्म भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में दिखाई गई और बाजपेयी की अदाकारी को सबने सराहा भी। वहीं एक्टर ने इसका श्रेय कहानी की ट्रीटमेंट को दिया और निर्देशक कनु बहल की तारीफ की।

‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

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मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

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‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

कहानी पेशेवर महत्वाकांक्षाओं और निजी जिंदगी की चुनौतियों पर केंद्रित है। जॉय की जिंदगी एक पल उलझी तो दूसरे पर सुलझी दिखती है।

लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

मनोज ने कहा, ”मेरा किरदार इसमें आपको बांध कर रख सकता है। किरदार परिस्थितियों के हिसाब से नहीं आगे बढ़ता है बल्कि अपने भीतर मची हल चल से परेशान है। ये हकीकत से परे है।

मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

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‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

कहानी पेशेवर महत्वाकांक्षाओं और निजी जिंदगी की चुनौतियों पर केंद्रित है। जॉय की जिंदगी एक पल उलझी तो दूसरे पर सुलझी दिखती है।

लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

मनोज ने कहा, ”मेरा किरदार इसमें आपको बांध कर रख सकता है। किरदार परिस्थितियों के हिसाब से नहीं आगे बढ़ता है बल्कि अपने भीतर मची हल चल से परेशान है। ये हकीकत से परे है।

मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

वेरायटी डॉट कॉम को बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने किरदार को गढ़ने में कइयों की मदद ली। उन्होंने कहा था, “मेरे कई करीबी दोस्त हैं जो दिल्ली और मुंबई के खोजी पत्रकार हैं, जिनसे मैं कई वर्षों से मिल रहा हूं ताकि उनकी नौकरी की प्रकृति और संघर्ष को समझ सकूं।”

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‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

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लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

मनोज ने कहा, ”मेरा किरदार इसमें आपको बांध कर रख सकता है। किरदार परिस्थितियों के हिसाब से नहीं आगे बढ़ता है बल्कि अपने भीतर मची हल चल से परेशान है। ये हकीकत से परे है।

मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

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‘डिस्पैच’ में बाजपेयी ने मुंबई के एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। जो एक टैब्लॉयड में अनुभवी संपादक जॉय की भूमिका निभाई है, जो डिजिटल युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

वैरायटी डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा, ” वैसे तो यह एक थ्रिलर फिल्‍म है, मगर फिल्म निर्माता कनु बहल ने इससे बड़ी खूबसूरती से ट्रीट किया है।”

खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

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लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

मनोज ने कहा, ”मेरा किरदार इसमें आपको बांध कर रख सकता है। किरदार परिस्थितियों के हिसाब से नहीं आगे बढ़ता है बल्कि अपने भीतर मची हल चल से परेशान है। ये हकीकत से परे है।

मनोज ने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें जॉय नाम का किरदार एक पुलिस स्टेशन में दूसरे अभिनेता की पिटाई कर रहा था। कई टेक के बाद, सह-अभिनेता की नाक से खून बहने लगा था जिसे देख कर मनोज काफी परेशान हो गए और फिर सेट छोड़ कर निकल गए।

बहल उनके पीछे-पीछे उनकी वैन तक गए, लेकिन सांत्वना देने के बजाय निर्देशक ने मनोज से कहा कि हम फिल्म नहीं बना रहे बल्कि एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं।

वेरायटी डॉट कॉम को बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने किरदार को गढ़ने में कइयों की मदद ली। उन्होंने कहा था, “मेरे कई करीबी दोस्त हैं जो दिल्ली और मुंबई के खोजी पत्रकार हैं, जिनसे मैं कई वर्षों से मिल रहा हूं ताकि उनकी नौकरी की प्रकृति और संघर्ष को समझ सकूं।”

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खूबसूरती ये है कि, “लोगों को यह दृष्टिकोण बेहद पसंद आ रहा है। दर्शक कहानी में बहने की बजाय फिल्‍म में दिखाई गई उन घटनाओं पर ध्‍यान देते हैं।”

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लेकिन ऑफ स्क्रीन उनका तजुर्बा बढ़िया रहा। उन्होंने खुद माना कि एक चुनौतीपूर्ण निर्देशक के साथ काम करने को लेकर मनोज पूरी तरह से तैयार थे। वह फिल्‍म की कहानी से बेहद ही प्रभावित थे और वह बहल के साथ काम करना चाहते थे।

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