मंडी, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से जनसाधारण के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना इसी में से एक है। हिमाचल प्रदेश के मंडी और कुल्लू जिले के लाभार्थी किसानों को इस योजना का फायदा मिला, जिसको लेकर उन्होंने गुरुवार को आईएएनएस से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट किया।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किसानों के लिए किसी वरदान से काम नहीं है। इससे पहले छोटे किसानों को खेती के लिए कर्ज लेना पड़ता थे। लेकिन, अब साल में तीन बार खेती के समय प्रति किसान दो 2,000 रुपए मिलने से कृषि कार्य में सहूलियत हो जा रही है। 2018 में रबी के सीजन के समय से इस योजना की शुरुआत की गई थी।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत सम्मान निधि मिलने से हिमाचल प्रदेश के मंडी और कुल्लू जिले के किसानों में खुशी का माहौल है। यह सम्मान निधि मिलने से उनके चेहरे में रौनक लौट आई है। वहीं, दूसरी तरफ युवाओं का भी कृषि के प्रति रुझान काफी बढ़ा है।
लाभार्थी किसान चमन लाल ने बताया, भारत सरकार की तरफ से कई तरह की योजना चलाई जा रही है, लेकिन इसमें किसान सम्मान निधि योजना बहुत अच्छी है। पीएम मोदी की योजना से हमारे किसानों का आर्थिक और सामाजिक उत्थान हो रहा है। इसके लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं। पहले जब यह योजना नहीं मिलती थी तो किसान टूटा हुआ रहता था और उसको बैंक या किसी और संस्था पर खेती-बाड़ी के लिए निर्भर होना पड़ता था। अच्छे फसल के लिए बीज को खरीदने के लिए किसानों को दूसरे के ऊपर आश्रित रहना पड़ता था।
कुल्लू के रहने वाले युवा किसान लाभार्थी धर्मचंद्र ने बताया उनके घर के बुजुर्ग बागवानी और खेती का काम पहले से करते आ रहे हैं। पहले लोगों को बहुत दिक्कत होती थी। दवा और बीज के लिए कर्ज लेना पड़ता था। लेकिन, अब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से हमें बहुत फायदा है। अब हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है और खेती-बाड़ी करने में हमारा मन लग रहा है। सरकार से अपील है कि वो इस योजना के तीन किस्त के बजाय चार किश्त दे।
वैज्ञानिक डॉ. पंकज सूद ने बताया, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से पिछले तीन साल से लोगों के खातों में लगातार पैसों की किश्त आ रही है। भले ही राशि कम है लेकिन, यह किसानों के लिए मददगार है। कई बार बीज और दवाओं के लिए किसानों के पास पैसा नहीं होता है। इससे उनको मदद मिलती है। साल में तीन बार नियमित रूप से यह क्रेडिट हो रही है। किसानों को बहुत सपोर्ट मिलता है।
–आईएएनएस
एससीएच/जीकेटी