उमरिया. उमरिया जिला मुख्यालय स्थित बालिका अनुसूचित जाति छात्रावास की छात्राओं ने उमरिया छात्रावास में कथित तौर पर गुणवत्ताविहीन भोजन के वितरण के साथ वार्डन द्वारा दुव्र्यव्यवहार का गंभीर आरोप लगाया हैं. इस मामले में पीडि़त छात्राओं ने एक एसडीएम की कार्यशैली को कटघरें में खड़ा किया.
जिन पर छात्राओं ने आरोप लगाया कि जब वे इस मामले में शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची तो एक एसडीएम ने उन्हें कलेक्टर से मिलने ही नहीं दिया. छात्राओं ने शिकायत में आरोप लगाए हैं कि न तो उन्हें समय पर खाना और नाश्ता मिलता हैं यही नहीं मेन्यू के अनुसार कुछ भी नहीं मिलता. दाल और सब्जी इतनी पतली होती है कि पानी जैसी लगती है.
इसी मामले में उमरिया जिला मुख्यालय स्थित बालिका अनुसूचित जाति छात्रावास की छात्राएं वार्डन के व्यवहार और गुणवत्ताहीन भोजन की शिकायत को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचीं थीं. कलेक्ट्रेट कार्यालय में छात्राओं से बात करने के बाद एसडीएम ने उन्हें मीडिया और कलेक्टर से मिलने से रोक दिया. छात्राओं के परिजनों ने एसडीएम पर अभद्रता करने के आरोप लगाए हैं. छात्रावास में रहकर अध्ययन कर रही छात्राओं और उनके अभिभावकों ने वार्डन पर गुणवत्ताहीन भोजन देने और दुर्व्यवहार करने के आरोप लगाए.
अभिभावक ने बताई व्यथा
एक छात्रा के पिता ग्राम खरहाडांड़ निवासी संतोष चौधरी ने बताया कि उनकी बेटी 12वीं कक्षा की छात्रा हैं और उत्कृष्ट विद्यालय में अध्ययन कर रही हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने उन्हें बताया कि छात्रावास में किसी को भर पेट भोजन नहीं दिया जा रहा है. वहीं, छात्रावास में रहने वाले छात्राओं की तबीयत खराब होती है तो कथित तौर पर अधीक्षिका रीना सिंह कहती हैं कि इन्हें मर जाने दो, कहीं दवा कराने नहीं ले जाना. संतोष चौधरी ने कहा कि इसकी शिकायत करने वे अपनी बेटी को लेकर कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे. इस दौरान एक महिला एसडीएम ने अभद्रता की. उन्होंने कहा- अपनी बेटी को घर ले जाओ, यहां मत रुको. उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात नहीं करवाई. इसके बाद एसडीएम और तहसीलदार की उपस्थिति में छात्राओं को सरकारी गाडिय़ों में भरकर हॉस्टल वापस भेज दिया गया. उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया.
कभी समय पर नहीं मिलता भोजन
छात्राओं ने शिकायत की कि उन्हें समय पर खाना और नाश्ता नहीं दिया जाता है. मेन्यू के अनुसार कुछ भी नहीं मिलता है. दाल और सब्जी इतनी पतली होती है कि पानी जैसी लगती है. छात्राओं का आरोप है कि उनसे छात्रावास में काम भी करवाया जाता है, जैसे घास छिलवाना और सब्जियां लगवाना. मना करने पर धमकी दी जाती है कि वे ऊपर शिकायत करेंगी और हॉस्टल से निकाल देंगी.
परिजनों ने जताई नाराजगी
छात्राओं के परिजनों ने वार्डन की शिकायत करते हुए कहा कि जब उनकी बेटियां हॉस्टल में हैं तो उनकी जिम्मेदारी वार्डन की है लेकिन, वार्डन उनकी सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान नहीं रख रही हैं. परिजनों ने यह भी बताया कि जब उन्होंने वार्डन से बात की तो वह उनकी बातों को अनसुना कर कथित तौर पर उल्टा-सीधा बोलने लगीं.