चंडीगढ़, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, “30-40 साल पहले 30 फीसद के अंदर ही शहरीकरण था। अब यह 70 फीसद क्रॉस कर गया है। पिछले 10 साल हमारे लिए महत्वपूर्ण रहे। हमने बहुत काम किया। पिछले 10 सालों में हमने 2014 से 2024 तक बहुत कुछ हासिल किया है। अब इस कार्यकाल में 6 महीने हो गए हैं।”
उन्होंने कहा, “कई योजनाओं का विस्तार धीरे-धीरे कर रहे हैं और उसकी गति पहले से ज्यादा कैसे तेज हो, इसके लिए भी बहुत काम किए हैं।”
उन्होंने कहा, “इस बार यह तय किया गया है कि बिना मांग के भी पहले चरण में आवासों को सैंक्शन दिया जाएगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि मांग आने में बहुत समय लगता है, और उसके बाद प्रक्रिया पूरी करने में भी समय लग जाता है। खासतौर पर, पांच साल के इस प्रोग्राम में शहरी क्षेत्र में एक करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है, और उसका एक छोटा हिस्सा यानी लगभग 6 फीसद या 7 फीसद पहले चरण में अनुमोदित किया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “इसमें एक विशेष पहल की गई है कि कुछ राज्यों को पहले ही अनौपचारिक सैंक्शन मिल जाएगा, और यह सात लाख मकानों के लिए होगा। इस सैंक्शन से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन राज्यों में जितने मकान निर्धारित हैं, उन्हें इस साल पूरा किया जा सके। यह एक तरह का प्रावधान होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि इन राज्यों को सैंक्शन मिलने पर उनके पास इस साल के लिए एक निश्चित संख्या में मकानों की गारंटी होगी।”
उन्होंने कहा, “हम प्रधानमंत्री आवास योजना में जो भी डिमांड आती थी, उसके हिसाब से आवासों का आवंटन करते थे। लेकिन, इस बार यह तय किया गया है कि जो डिमांड आती है, उसे सेंक्शन करने में बहुत समय लग जाता है। इसलिए पहले चरण का जो हमारा सैंक्शन है, वह डिमांड के बिना किया जाएगा, क्योंकि यह पांच साल का प्रोग्राम है। इस पांच साल के प्रोग्राम में एक करोड़ मकान शहरी क्षेत्र में बनाए जाने हैं। इसका एक छोटा हिस्सा, यानी छह या सात प्रतिशत, अभी तय नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अगर किसी राज्य में किसी कारणवश किसी प्रकार का घाटा होता है, तो हम पहले किस्त के पैसे का ट्रांसफर कर देंगे। इसके अलावा, जो भी डिमांड 31 मार्च तक आएगी, उसकी समीक्षा कर अगले वर्षों के लिए सैंक्शन प्रारंभ में ही बता दिए जाएंगे। ताकि कोई भी लाभार्थी या निर्माण करने वाला व्यक्ति यह जान सके कि पांच साल में उसे कब मकान मिलेगा।”
–आईएएनएस
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