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Home ताज़ा समाचार

विदेश सचिव ने संसदीय समिति को दी अपने ढाका दौरे की जानकारी, थरूर बोले – अहम जानकारी मिली

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December 12, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 11 दिसंबर, (आईएएनएस) : विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक के दौरान अपने बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी। वह सोमवार को ढाका गए थे। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “हमें बांग्लादेश पर बहुत अच्छी जानकारी मिली और विदेश सचिव, जैसा कि आप जानते हैं, कल ही वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं, वे हमें बहुत विस्तृत जानकारी देने में सक्षम थे।’

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

–आईएएनएस

एमके

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नई दिल्ली, 11 दिसंबर, (आईएएनएस) : विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक के दौरान अपने बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी। वह सोमवार को ढाका गए थे। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “हमें बांग्लादेश पर बहुत अच्छी जानकारी मिली और विदेश सचिव, जैसा कि आप जानते हैं, कल ही वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं, वे हमें बहुत विस्तृत जानकारी देने में सक्षम थे।’

थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

–आईएएनएस

एमके

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नई दिल्ली, 11 दिसंबर, (आईएएनएस) : विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक के दौरान अपने बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी। वह सोमवार को ढाका गए थे। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “हमें बांग्लादेश पर बहुत अच्छी जानकारी मिली और विदेश सचिव, जैसा कि आप जानते हैं, कल ही वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं, वे हमें बहुत विस्तृत जानकारी देने में सक्षम थे।’

थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

–आईएएनएस

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

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विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

–आईएएनएस

एमके

नई दिल्ली, 11 दिसंबर, (आईएएनएस) : विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक के दौरान अपने बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी। वह सोमवार को ढाका गए थे। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “हमें बांग्लादेश पर बहुत अच्छी जानकारी मिली और विदेश सचिव, जैसा कि आप जानते हैं, कल ही वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं, वे हमें बहुत विस्तृत जानकारी देने में सक्षम थे।’

थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 11 दिसंबर, (आईएएनएस) : विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक के दौरान अपने बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी। वह सोमवार को ढाका गए थे। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “हमें बांग्लादेश पर बहुत अच्छी जानकारी मिली और विदेश सचिव, जैसा कि आप जानते हैं, कल ही वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं, वे हमें बहुत विस्तृत जानकारी देने में सक्षम थे।’

थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 11 दिसंबर, (आईएएनएस) : विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक के दौरान अपने बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी। वह सोमवार को ढाका गए थे। कांग्रेस सांसद और समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “हमें बांग्लादेश पर बहुत अच्छी जानकारी मिली और विदेश सचिव, जैसा कि आप जानते हैं, कल ही वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं, वे हमें बहुत विस्तृत जानकारी देने में सक्षम थे।’

थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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थरूर ने कहा, “सांसदों ने सभी अहम सवाल पूछे। विदेश सचिव ने विस्तृत और स्पष्ट रूप से उत्तर दिए। हम इस विषय पर संसद को रिपोर्ट करेंगे क्योंकि यह समिति का आधिकारिक विषय है…”

मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की नई दिल्ली की इच्छा को दोहराया।

मिस्री की यात्रा के समापन के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंध, जिसमें संपर्क, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, बांग्लादेश के सभी लोगों के लाभ के लिए हैं।”

बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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मिस्री ने अपने दौरे के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात की।

अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

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बयान में कहा गया, “विदेश सचिव ने हाल के कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं को भी उठाया।”

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी, ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।”

विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, भड़काऊ बयानबाजी जैसी खबरें लगातार सामने आ रहा हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

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