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Home ताज़ा समाचार

प्रधानमंत्री मोदी की अपील रंग लाई, खादी से बने वस्त्रों को बड़े शान से अपना रहे लोग

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December 14, 2024
in ताज़ा समाचार
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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

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हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

डीकेएम/केआर

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

डीकेएम/केआर

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

डीकेएम/केआर

समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

डीकेएम/केआर

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

डीकेएम/केआर

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समस्तीपुर, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कर चुके हैं। बिहार के समस्तीपुर में पीएम मोदी की बातों का असर जमीन पर दिखने लगा है। छोटे से जिले में इस ‘मोटे वस्त्र’ के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है।

हाल में पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से खादी से बने वस्त्रों को खरीदने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। बिहार के समस्तीपुर में भारी संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों को खरीद रहे हैं और पहन रहे हैं।

समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कारजी ने बताया कि खादी अब रंग-बिरंगे रूप में आ रहा है। और इसका उत्पादन युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर हो रहा है। सर्दी के दौरान शाल, चादर, जैकेट बनाया जा रहा है। समस्तीपुर के सभी केंद्रों पर इसे बिक्री के लिए रखा गया है। इन केंद्रों पर खादी के वस्त्र युवा और बुजुर्ग लोगों के उपबल्ध है।

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर खादी से बने मफलर का रेट 300 से 500 रुपये तक, जैकेट 2 हजार से 3 हजार, कश्मीरी ऊन से बने शाल का दाम 2 हजार से 6 हजार, चादर 2 हजार से 8 हजार रुपये तक में बिक्री के लिए रखा गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि अभी सर्दी का मौसम है तो समस्तीपुर के खादी स्टोर पर युवा रंग बिरंगे जैकेट लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मैं समझता हूं कि पहले की तुलना में युवाओं में खादी का आकर्षण बढ़ा है। इसके पीछे यह कारण है कि पहले खादी में युवाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते थे। लेकिन, आज युवाओं के पास कई विकल्प हैं। युवाओं को डिजायनदार खादी के वस्त्र पसंद आ रहे हैं।

कारोबार के बारे में उन्होंने कहा है कि कारोबार ठीक चल रहा है और युवा लगातार खादी के वस्त्र खरीदने के लिए आ रहे हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले अनस रिजवान ने कहा कि खादी गांधी जी के विरासत का प्रतीक है। खासकर पहले हमारे बुजुर्ग खादी के वस्त्र पहनते थे। लेकिन, आज युवा भी पहन रहे हैं। क्योंकि, खादी में अब रंग-बिरंगे वस्त्र उपलब्ध है। हम युवाओं से अपील करते हैं कि गांधी जी की विरासत को आगे बढ़ाए और खादी के वस्त्र पहने।

संजीत कुमार ने बताया कि खादी के बारे में पहले लोगों की धारणा थी कि यह मोटा कपड़ा होता होगा। लेकिन, अब खादी में महीन (पतला) वस्त्र आ रहा है। विविधता आई है जो काफी लुभा रही हैं। युवा इसे काफी पसंद कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अधिक संख्या में युवा खादी से बने वस्त्रों का उपयोग करें क्योंकि खादी में अब डिजायनदार कपड़े भी मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2024 को रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ” आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो कभी खादी के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन आज बहुत गर्व के साथ खादी पहनते हैं। मुझे यह बताते हुए आनंद आ रहा है कि खादी ग्राम उद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ चुकी है। खादी के प्रति लोगों का झुकाव बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। मेरा आप सभी से एक अपील है कि आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे। और अगर अब तक आपने खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं तो इस साल से शुरू कर लें।”

–आईएएनएस

डीकेएम/केआर

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