नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि कोयला मंत्रालय के तहत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला एवं लिग्नाइट कंपनियों ने एनवायरनमेंट रीजनरेशन के साथ-साथ पर्यटन एवं मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पिछले 5 वर्षों में कोयला खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास 16 इको-पार्क स्थापित किए हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कोयला खनन क्षेत्रों के आसपास ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने कोयला और लिग्नाइट खनन क्षेत्रों और उसके आसपास वृक्षारोपण एवं जैव-पुनर्ग्रहण प्रयासों के तहत 10,942 हेक्टेयर को हरित क्षेत्र बनाया है।
सरकारी कंपनियों ने वृक्षारोपण में इनोवेटिव के साथ पारंपरिक तकनीकों का भी उपयोग किया गया है। इसमें थ्री-टियर प्लांटेशन, सीड बॉल प्लांटेशन, मियावाकी प्लांटेशन, बांस प्लांटेशन और ड्रिप सिंचाई का उपयोग करके ओवरबर्डन डंप पर वृक्षारोपण शामिल हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कोयला खनन परियोजनाओं की पर्यावरण मंजूरी (ईसी) में वृक्षारोपण से संबंधित विभिन्न विशिष्ट और सामान्य शर्तें निर्धारित करता है। इन शर्तों में डिग्रेड हो चुके वनों को पुन: प्राप्त करने के लिए और गैर-वन भूमि पर वृक्षारोपण शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईसी की शर्तों के अनुसार, पुनः प्राप्ति और ग्रीन बेल्ट के विकास के लिए कोयला खनन क्षेत्रों में वृक्षारोपण किया जाता है, जिसमें बाहरी ओवरबर्डन डंप और डिग्रेड हो चुके वनों को पुन: प्राप्त करने के साथ-साथ गैर-वन भूमि भी शामिल है।
इको-फ्रेंडली ग्रीन -कवर से घूल को रोकने में मदद मिलती है। साथ ही इससे ग्राउंडवाटर भी सामान्य रहता है।
वृक्षारोपण की मियावाकी पद्धति जिसे व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है, 70 के दशक में जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा शुरू की गई थी। इसमें हर वर्ग मीटर के भीतर देशी पेड़, झाड़ियां और ग्राउंड कवर पौधे लगाना शामिल है।
–आईएएनएस
एबीएस/