जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने हाई स्कूल शिक्षक भर्ती नियमों को चुनौती देने वाले मामले को सख्ती से लिया. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई दौरान सरकार को निर्देशित किया है वह दो दिन में भर्ती नियम संशोधित कर अपनी रिपोर्ट पेश करे.
इसके साथ ही न्यायालय ने रिक्त पदों पर याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति के संबंध में भी जवाब पेश करने करने के निर्देश दिये है, अन्यथा पचास फीसदी से कम अंक वाले सभी उम्मीदवारों की नियुक्तियां निरस्त करके फिर से संशोधित काउंसलिंग कराने के निर्देश दिये है.
उल्लेखनीय है कि यह मामले शिवानी शाह सहित अन्य की ओर से दायर किये गये थे. जिसमें कहा गया था कि स्कूल शिक्षा विभाग तथा जनजाति कार्य विभाग द्वारा 2021 से 2024 तक एनसीटीई के नियमों के विरुद्व लगभग 18 हजार से अधिक हाई स्कूल शिक्षकों की भर्ती की गई हैं.
आवेदकों की ओर से कहा गया किडीपीआई ने न्यायालय में शपथ पत्र पेश कर कहा था कि 448 शिक्षकों की स्नातकोत्तर की मार्कशीट में 45 प्रतिशत से अधिक तथा 50 प्रतिशत से कम अंक हैं तथा उनकी अंकसूची में द्वितीय श्रेणी लिखा होने के कारण नियुक्ति दी गई है. वहीं याचिकाकर्ताओं के अंक 50 प्रतिशत से कम तथा 45 प्रतिशत से अधिक हैं लेकिन उनकी अंकसूची में तृतीय श्रेणी लिखा होने के कारण नियुक्ति नहीं दी गर्इं, जो अवैधानिक है. सुनवाई दौरान आवेदकों की ओर से कहा गया कि 17 हजार से अधिक पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था, लेकिन सिर्फ 12 हजार पदों पर ही नियुक्तियां की गर्इं और शेष पद अभी भी रिक्त हैं. सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा.