*आशीष कुमार दुबे*
बिरसिंहपुर पाली- (देशबंधु). जिले के बिगड़े प्रशासनिक व्यवस्था का आलम यह है कि जिस ओर नज़र घुमाओ , व्यवस्था कही पर भी ठीक से पटरी पर चलते दिखाई नहीं देती , काम निचले पायदान के हों या उच्च स्तर के सभी ओर अव्यवस्थाएं हावी है. मध्यान्ह भोजन केंद्र सरकार और यशस्वी प्रधानमंत्री नारेन्द मोदी की अति महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना की पड़ताल करने पर पता चलता है कि इस योजना का भी धुआं निकालने में भी जिम्मेदारो ने कोई कसर नहीं छोड़ी . महिलाओं को धुआं से आज़ादी दिलाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने पूरे जतन के साथ उज्जवला योजना को अमल में लाकर महिलाओं को धुआं से छुटकारा दिलाने के लिए मुफ्त में रेवड़ियां बांटी लेकिन उसके भी परिणाम निराशाजनक दिखाई दे रहे हैं.
मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग व्दारा विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन को चूल्हे से आज़ादी दिलाने के लिए वर्ष 2016 में शासन व्दारा दो गैस सिलेंडर और चूल्हा सेट स्कूल में मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराने वाले स्व सहायता समूहों को उपलब्ध करा लकड़ी वाले चूल्हे से मुक्ति दिलाने का काम किया था , इस प्रक्रिया के तहत पाली विकास खण्ड के विद्यालयों में निशुल्क गैस सिलेंडर और चूल्हों का वितरण किया गया था , लेकिन दुर्भाग्यवश कहा जाये कि पाली विकास खंड के ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों में आज भी स्कूलों में महिलाओं को इससे मुक्ति नहीं मिल पायी.
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बीते दिवस ग्रामीण अंचल के साथ भ्रमण के दौरान आमगार ,औढेरा , पनवारी इत्यादि गांवों के विद्यालयों में आज भी स्व सहायता समूहों के व्दारा लकड़ियां सुलगते देखा जा सकता है .इस मामले में विद्यालय के प्रधानाचार्यो से चर्चा में बतलाया कि गैस सिलेंडर और चूल्हा इन्हें दिया गया है लेकिन स्व सहायता समूहों का कहना है कि गैस सिलेंडर हमें मंहगा पड़ता है इस कारण लकड़ियों से ही भोजन पकाया जाता है .आमगार विद्यालय में जो भोजन विद्यार्थियों को परोसा जा रहा था ,उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं .भोजन में जला चावल और नाम के लिए पतली दाल जो पानी अलग -थलग और उसका पानी अलग बह रहा है.
इस तरह से देखा जाए तो मध्याह्न भोजन के नाम पर खानापूर्ति से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है . स्व सहायता समूह जिस मध्यान्ह भोजन के नाम पर चांदी काट रहे हैं , वही भोजन पकाने वाली महिलाओं को धुआं और बच्चों को बेपोषण युक्त भोजन से पेट भर रहे हैं .आमगार विद्यालय के विद्यार्थियों ने बताया कि पूड़ी -खीर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में ही मिलता है.
हैरतअंगेज कहा जाये कि आमगार विद्यालय में मध्यान्ह भोजन का काम उसी विद्यालय में अतिथि शिक्षक लक्ष्मण सिंह की पत्नी चला रही है .इस तरह देखा जाए तो स्व सहायता समूहों के व्दारा मध्यांह भोजन में भारी गड़बड़ियां कर खुद तो फल -फूल रही है कुपोषित बच्चे उसकी कीमत चुकाते पेट भर रहे हैं . अपेक्षा है कि जिम्मेदार विभाग अपने दायित्वों के प्रति सजग हो मध्यान्ह भोजन को शासन के मंशा अनुरूप चलाने आवश्यक कदम उठायेंगे .