जबलपुर. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (रादुविवि) में 8 साल कुलगुरू रहे प्रो. कपिल देव मिश्र के अंतिम पांच वर्षो के कार्यकाल में हुए निर्णयों और निविदाओं की उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर जांच प्रारंभ हो गई हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के बिंदु निर्धारित करते हुए अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा रीवा आरपी सिंह की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी.
उक्त जांच टीम में रीवा व शहडोल संभाग के शिक्षक व कुछ तकनीकी जानकारों को शामिल किया गया है. जांच टीम बुधवार से विश्वविद्यालय में डेरा जमाए हुए हैं. जांच टीम के सदस्य विश्वविद्यालय पहुंच कर दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है. जांच टीम के राडार पर रादुविवि का लेखा विभाग है. दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग को जो शिकायतें भेजी गई थी, उसमें आरोप है कि पूर्व कुलगुरू प्रो. कपिल देव के कार्यकाल में काफी वित्तीय अनियमितताएं हुई थी.
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शिकायत के आधार पर चल रही जांच
कुलगुरु प्रोफेसर राजेश वर्मा ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग को हुई शिकायत के आधार पर जांच चल रही है. फिलहाल जांच किसी व्यक्ति पर आधारित नहीं है. जांच टीम जो दस्तावेज मांग रही है, उसे मुहैया कराया जा रहा है. जांच टीम पड़ताल के बाद प्रतिवेदन उच्च शिक्षा विभाग को सौंपा जाएगा.
बढ़ गया जांच का दायरा
बताया जाता है कि जांच टीम को करीब 7 बिंदु निर्धारित करते हुए भेजा गया था लेकिन विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद जांच टीम ने कुछ नए बिंदुओं पर भी जांच शुरू कर दी है. ऐसा माना जा रहा है कि जांच टीम को कुछ चिन्हिंत लोगो को लपेटे में लेने के निर्देश दिए गए हैं. लिहाजा जांच टीम बड़ी बारीकी से ऐसी फाइलें खंगाल रही है,जो संबंधित लोगों से जुड़ी हुई हो. मुख्य रूप से बैंकिंग और भुगतानों में अनियमितता तलाशी जा रही है. सूत्रों की मानें तो जांच टीम को कुछ दस्तावेज कर्मचारियों ने भी सौंपे हैं. जिसकी सत्यता जांच जा रही है.
कुलगुरू के वित्तीय अधिकार पर उठे सवाल
जांच के दौरान कुलगुरु के वित्तीय अधिकार पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. बताया जाता है कि कुलगुरू को 10 लाख तक के बिल भुगतानों का अधिकार होता है. लेकिन आरोप है कि पूर्व कुलगुरू के कार्यकाल में कुछ भुगतान निर्धारित सीमा के बाहर उनके अनुमोदन पर हुए हैं. हालांकि 10 लाख से ज्यादा के भुगतान पर निर्णय कार्य परिषद द्वारा लिए जा सकते हैं. अब जांच टीम यह देख रही है कि बीते पांच सालों में ऐसा हुआ था कि नहीं.
कई अधिकारियों के निर्णय पर नजर
जांच टीम 2018 से जनवरी 2024 तक के वर्षो में हुए निर्णयों से जुड़ी फाइलों को खंगाल रही है. बताया जाता है कि उक्त पांच सालों में करीब चार से पांच प्रभारी कुलसचिव और तीन वित्त नियंत्रकों के हाथों में कमान रही. चुंकि वर्तमान कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा के कार्यकाल को जांच से पृथक रखा गया है. लिहाजा उनके 11 माह के कार्यकाल को छोड़ इससे पहले तक हुए निर्णयों में खामी मिली तो कई अधिकारी-कर्मचारी भी लपेटे में आएंगे.