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प्रयागराज महाकुंभ 2025 : श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने स्थापित की धर्म ध्वजा

by
December 30, 2024
in राष्ट्रीय
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प्रयागराज महाकुंभ 2025 : श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने स्थापित की धर्म ध्वजा
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महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। आस्था की नगरी प्रयागराज में होने वाले इस विशाल धार्मिक आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 13 अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा, छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

–आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

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महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। आस्था की नगरी प्रयागराज में होने वाले इस विशाल धार्मिक आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 13 अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा, छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं।

इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

–आईएएनएस

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महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। आस्था की नगरी प्रयागराज में होने वाले इस विशाल धार्मिक आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 13 अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा, छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं।

इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

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महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

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महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। आस्था की नगरी प्रयागराज में होने वाले इस विशाल धार्मिक आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 13 अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा, छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं।

इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

–आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

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महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। आस्था की नगरी प्रयागराज में होने वाले इस विशाल धार्मिक आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 13 अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा, छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं।

इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। आस्था की नगरी प्रयागराज में होने वाले इस विशाल धार्मिक आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 13 अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा, छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं।

इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इसी कड़ी में सोमवार को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है। महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है और इसे हमारे सभी संत-महात्माओं द्वारा विधि पूर्वक किया गया है। विशेष रूप से नागा संतो द्वारा यह समारोह सम्पन्न हुआ है।

महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हमारे संन्यास परंपरा में कुल 10 नाम होते हैं, जिनमें 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का एक विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी।

महंत ने कहा कि देश और विदेश से आए सभी संतों के साथ एक भव्य आयोजन होगा और वह निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे। मेला क्षेत्र की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि यह कुंभ मेला पूरी तरह से दिव्य और भव्य हो।

बता दें कि संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में महज गिनती के कुछ दिन बचे हैं। हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित होने वाले महाकुंभ में लाखों-करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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