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घाटी में आतंक को खत्म करने के बाद जो खोया है उसे लेंगे वापस : गृह मंत्री अमित शाह

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January 2, 2025
in ताज़ा समाचार
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घाटी में आतंक को खत्म करने के बाद जो खोया है उसे लेंगे वापस : गृह मंत्री अमित शाह
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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

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वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। कश्मीर को भारत और उसकी आत्मा का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल घाटी में आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा है और उसके नेटवर्क को खत्‍म किया है, बल्कि जो खोया है उसे वापस पाने के लिए भी प्रत‍िबद्ध है। शाह ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र और क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का भी उल्‍लेख क‍िया।

वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ – ए विजुअल नैरेटिव ऑफ कॉन्टिन्यूटीज एंड लिंकेज नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी पेश करने का प्रयास करती है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की इस पुस्तक का संपादन रघुवेंद्र तंवर ने किया है। शाह ने कहा, “कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा और हम जल्द ही कश्मीर को अपना सांस्कृतिक गौरव वापस पाते देखेंगे।”

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक कथन को याद करते हुए कहा, “जम्मू और कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि देश की आत्मा का अभिन्न अंग है।” शाह ने कहा कि इस पुस्तक ने साबित कर दिया है कि कश्मीर और लद्दाख भी हमारी संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370, जो कश्मीर को राष्ट्र से अलग करने का एक प्रयास था, उसे भी हटा दिया गया।”

गृहमंत्री ने कहा, “संविधान सभा में बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बने। हालांकि, यह एक हिस्सा बन गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने जब यह संव‍िधान का हिस्सा बना, तो महसूस किया कि इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक था।” “जो कृत्रिम है, जो प्राकृतिक या जैविक नहीं है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है और यह पीएम नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के साथ 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया। इसने हमारे स्वतंत्रता के बाद के इतिहास के एक कलंकित अध्याय को समाप्त कर दिया, और वहां से शेष भारत के साथ-साथ कश्मीर के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ।”

कश्मीर पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण पाया है, बल्कि हम इसे रोकने में भी सफल रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी से आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने का भी काम किया है।” उन्होंने कहा, ” यह सब इस भूमि के लिए हुआ है, जिसने देश और दुनिया की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कश्मीर के विद्वानों ने हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण और ज्ञान के विभिन्न रूपों को समृद्ध किया है।”

“2024 में, जम्मू और कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है। 25,000 से अधिक पंचायत सदस्य, सरपंच, तहसील पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतकर अब अपने गांव, तहसील और जिले चला रहे हैं। जमीनी स्तर पर पंचायती राज और लोकतंत्र गहरा हुआ है। पिछले 33 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हाल ही में दर्ज किया गया।”

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3,000 साल पुराने ग्रंथों को स्कैन किया गया और संपादक ने पुस्तक में कश्मीर के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंदिर के खंडहर और चित्रों में परिलक्षित संस्कृति और पुस्तक में दर्ज भारत से अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया की ओर बौद्ध धर्म की यात्रा भी इस बात की पुष्टि करती है कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है। हमलावरों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों की तस्वीरों का उपयोग, कश्मीर में संस्कृत का उपयोग, डोगरा राजवंश का प्रगतिशील शासन, महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और 1947 के बाद की गई गलतियों और उनके सुधारों ने पुस्तक में कश्मीर के 3,000 साल के इतिहास को प्रस्तुत किया है।

गृहमंत्री शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियंस दिल्ली से जिमखाना क्लब या दरीबा कलां से बल्लीमारान तक सीमित या दर्ज नहीं किया जा सकता है। लोगों के साथ घुलने-मिलने, लोगों की संस्कृति और भाषा को समझने से इतिहास को समझा जाना चाहिए।”

उन्होंने इतिहासकारों के 150 साल के उस दौर की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था। पुस्तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप से प्रलेखित करने का प्रयास करती है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है जो क्षेत्र के तीन हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं। समावेश के लिए चुने गए प्रत्येक चित्रण को सावधानी से बनाया गया है, जो एक युग, उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में उसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

–आईएएनएस

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