मुंबई, 28 फरवरी (आईएएनएस)। अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और अवसाद (डिप्रेशन) से निपटने के बारे में खुलकर बात की है। अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने खुलासा किया कि इससे बाहर आना उनके लिए बहुत कठिन था और इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं को इन मुद्दों के बारे में अधिक मुखर होने की जरूरत है।
दिव्या ने कहा, मैं डिप्रेशन से गुजर चुकी हूं और इससे बाहर आ गई हूं। लेकिन हर कोई ऐसा नहीं कर सकता। लोगों को पता होना चाहिए कि इसके बारे में बात करना बिल्कुल ठीक है। इसे दबाने की कोशिश न करें। अगर कोई उदास दिखाई देता है तो उसे पर ध्यान दें और उनकी बात सुनें। डिप्रेशन पागलपन नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को एक बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिए और एक के रूप में इसका इलाज किया जाना चाहिए।
अभिनेत्री का मानना है कि अब समय आ गया है कि महिलाएं अपने मुद्दों के बारे में अधिक मुखर हों। अभिनेत्री आगे कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पागलपन में तब्दील नहीं होती हैं। इसलिए, उन्हें समझाने की जरूरत है और मिथकों को तोड़ने की जरूरत है।
अभिनेत्री ने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण और अभी तक कम बोला जाने वाला विषय मानसिक स्वास्थ्य है। इससे इतनी सारी महिलाएं पीड़ित हैं लेकिन इसके बारे में बोलने की हिम्मत नहीं करती हैं। मुझे खुशी है कि अब हम इसके बारे में बात कर रहे हैं। महिला दिवस (8 मार्च) को अन्य महिलाओं के साथ मनाने की उम्मीद है जो एक बेहतर समाज और अवसरों के लिए समर्पित हैं।
दिव्या ने 1994 में फिल्म इश्क में जीना इश्क में मरना से फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। उन्होंने वीर-जारा, वेल्कम टू सज्जनपुर, दिल्ली-6, स्टैनली का डब्बा, हीरोइन, भाग मिल्खा सिंह सहित अन्य में भी अभिनय किया है।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम