जबलपुर. कभी-कभी जीवन में ऐसी परीक्षाएं सामने आ जाती हैं कि व्यक्ति चाह कर भी कुछ करने सामथ्र्य नहीं जुटा पाता. यही स्थिति बिरौली जिला सिवनी निवासी 30 वर्षीय माधव कुमार आदिवासी के सामने आई. शुक्रवार को उन पर अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. माधव बड़ी उम्मीद से अपनी गर्भवती पत्नी राम कुमारी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर आए थे. शुक्रवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे से 11 बजे के बीच रामकुमारी ने मृत बच्ची को जन्म दिया. नवजात की मृत्यु के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक द्वारा नवजात का शव उनके पिता माधव के सुपुर्द कर दिया. अब यहां बिना किसी सहारे माधव अपनी नवजात बच्ची के शव को थैले में लेकर भटक रहे थे.
आंखों में बेबसी के आंसू थे वे चाह कर भी किसी से मदद की गुहार नहीं लगा पा रहे थे जहां लगाई भी वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. इसी बीच सड़कों पर अपनी बच्ची के निर्जीव शव को लेकर भटकते माधव की व्यथा की जानकारी लोगों ने मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर को दी. आशीष ने न सिर्फ पेशे से श्रमिक माधव के लिए मोक्ष संस्था के वाहन की व्यवस्था कराई बल्कि सहयोगियों के साथ नवजात का तिलवारा घाट मे ससम्मान अंतिम संस्कार कराया.