अनूपपुर, देशबन्धु. जिले में 2 दिसंबर से शुरू हुई धान खरीदी में इस बार राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) को जिम्मेदारी दी गई, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है. शासन कर यह प्रयोग असफल साबित हो रहा है. जिले में कुल 21,974 किसानों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 17,642 किसानों से 9.21 लाख क्विंटल धान खरीदी की जा चुकी है.
किसानों से ऋण वसूली के बाद कुल 198.10 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था, लेकिन एक महीने बाद भी 119.01 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित है.
एनसीसीएफ बजट की कमी का हवाला दे रहा है. स्थिति और भी गंभीर इसलिए है क्योंकि उपार्जन केंद्रों में लगभग 94,000 क्विंटल धान खुले में पड़ी है, जबकि मौसम विभाग ने आगामी दिनों में बारिश की संभावना जताई है. धान खरीदी की अंतिम तिथि 23 जनवरी है. समय कम होने और मौसम की चुनौती ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. भुगतान के लिए किसान लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा हैं.
गोदामों का प्रबंधन अधूरा
जिले में 22 मिलर्स मिलिंग का कार्य करते हैं. राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ के नियमों के अनुसार, मिलिंग के पश्चात 65% चावल एफसीआई के गोदामों में और 35% चावल नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में जमा किया जाना है. जिले में एफसीआई का एक भी गोदाम नहीं है.
अब तक एनसीसीएफ द्वारा पयारी ग्राम में 5400 मेट्रिक टन क्षमता और अन्नपूर्णा गोदाम रेउदा में 2700 मेट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम का चयन किया गया है. हालांकि, अब तक इस संबंध में कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है, जिसके चलते मिलर्स मिलिंग के पश्चात चावल को नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के गोदामों में ही जमा करा रहे हैं.
स्थिति जस की तस बनी हुई
बादलों की आमद और बारिश के खतरे के बीच उपार्जन केंद्रों पर धान को सुरक्षित रखने की व्यवस्था केवल पन्नियों के भरोसे है. बारिश से बचाने के लिए पन्नियां तो उपलब्ध कराई गई हैं, लेकिन नीचे से बहने वाले पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं है. जिले में अब भी 4332 किसान अपनी धान बेचने के लिए शेष हैं. आगामी दिनों में इनकी भीड़ उपार्जन केंद्रों पर पहुंचेगी. हालांकि, बारिश और भीड़ के प्रबंधन को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है.