जबलपुर, देशबन्धु. सडक निर्माण के दौरान डामर का फर्जी बिल लगाकर शासन को 37 करोड रूपये की आर्थिक क्षति पहुॅचाने वाले पांच ठेकेदारों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर लिया है. ठेकेदारों ने बिल के साथ डामर खरीदे के फर्जी बिल प्रस्तुत किये थे.
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में प्राप्त शिकायत कर आरोप लगाए गए कि महाकौशल क्षेत्र के विभिन्न जिलों में अनेक सड़क ठेकेदारों ने सड़क निर्माण कार्य के दौरान डामर के फर्जी बिल लगाकर करोड़ों रूपयों का अवैध तरीके से भुगतान प्राप्त कर विभाग एवं शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है.
ईओडब्ल्यू जबलपुर में पदस्थ डीएसपी एव्ही सिंह को जांच सौंपी गयी थी. डीएसपी सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश सडक ग्रामीण प्राधिकरण के अंतर्गत जबलपुर के तीन तथा मंडला के दो ठेकेदारों ने सडक निर्माण का ठेका लिया था.
ठेकेदारों द्वारा लगाए गए सड़क निर्माण में डामरों के सत्यापित बिल के आधार पर उन्होने भुगतान प्राप्त किया था. बिल आईओसीएल (इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड), एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) एस्सार एवं नायरा आदि कंपनियों के थे. कंपनियों के द्वारा उक्त बिल जारी नहीं किये गये थे.
ठेकेदारों के द्वारा फर्जी बिल प्रस्तुत कर भुगतान प्राप्त किया गया था. जिसकी जांच उपरोक्त कंपनियों से कराए जाने पर अनावेदक ठेकेदारों द्वारा लगाये गये बिल बिटुमिन (डामर) की प्रदायकर्ता कंपनी द्वारा जारी करना नहीं पाया गया है.
ईओडब्ल्यू ने ए डी कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर अनिल दुबे, प्रोपराईटर अखिलेश मेहता, मेसर्स वैष्णव एसोसिएट के प्रोपराइटर धर्मेंद्र प्रताप सिंह,मेसर्स लाल बहादुर यादव के प्रोपराइटर लाल बहादुर सिंह,मेसर्स अब्दुल अजीज के प्रोपराइटर अब्दुल अजीत के खिलाफ खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है.