प्रयागराज. महाकुंभ मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए 28 जनवरी रात 10 बजे से श्रद्धालु संगम पर पहुंचने लगे थे. सुबह तक इंतजार करना था, इसलिए ये लोग संगम नोज से पहले बैरिकेडिंग के किनारे पॉलिथीन बिछाकर सो गए. पीछे से भीड़ आती गई और करीब आधा किमी एरिया पूरी तरह चोक हो गया. नागा साधुओं के स्नान के लिए आने की अफवाह संगम पर मौजूद लोगों ने बताया कि भारी भीड़ के बीच अफवाह फैली कि नागा साधु स्नान के लिए आ रहे हैं. इसलिए जो लोग बैठे या लेटे हैं, हट जाएं. इसके बाद अफरातफरी मची और लोग दब गए. हालांकि, घटना के पीछे की वजह की जांच हो रही है
संगम की भगदड़ में श्रद्धालु रमेश और उनका परिवार भी फंस गया. रमेश बताते हैं कि ‘हम 12:30 बजे संगम घाट पर पहुंच गए थे. वहीं आराम करने लगे थे. तभी पुलिस वाले लाउडस्पीकर लेकर आए और कहने लगे कि जाओ स्नान करो. इसी दौरान भगदड़ मच गई. 15 मिनट तक हम लोग भीड़ में दबे रहे. मैंने मां का हाथ पकड़ रखा था, लेकिन कुछ देर में वह छूट गया. पत्नी भी बिछड़ गई. मैंने जो देखा था, उसके बाद घर फोन कर दिया कि सब लोग खत्म हो गए.
महाकुंभ हादसे में गोंडा से आए एक श्रद्धालु की मौत, पत्नी संग पहुंचे थे प्रयागराज
हॉस्पिटल में रमेश की मां और पत्नी सही-सलामत मिल गईं. प्रशासन के मुताबिक इस भगदड़ में 30 लोग मारे गए, रिपोर्टर्स के मुताबिक ये आंकड़ा 35-40 है. भगदड़ के बाद संगम पहुंची 50 एंबुलेंस संगम से करीब डेढ़ किमी दूर सेंट्रल हॉस्पिटल महाकुंभ एरिया का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां 225 बेड हैं. भगदड़ के वक्त यहां करीब 50 लोगों का स्टाफ था. महाकुंभ एरिया में 25–25 बेड के तीन और हॉस्पिटल हैं.
भगदड़ के बाद घायलों को पहले सेंट्रल हॉस्पिटल ही लाया गया. हमारी टीम हॉस्पिटल पहुंची. देखा कि यहां एक के बाद एक एंबुलेंस आ रही हैं. डॉक्टर घायलों को उतारकर अंदर ले जाते. करीब 50 एंबुलेंस लगातार संगम तक दौड़ रही थीं. एक एंबुलेंस में दो से तीन लोग हॉस्पिटल लाए गए. थोड़ी ही देर में महिला वार्ड के सभी 100 बेड भर गए. डॉक्टरों ने कुर्सी पर बैठाकर इलाज शुरू कर दिया.
मरने वालों की तादाद भी बढ़ रही थी. भगदड़ वाली जगह से 400 मीटर दूर हॉस्पिटल संगम से करीब 400 मीटर दूर सेक्टर-4 में संगम हॉस्पिटल है. यहां हमें दो लोगों का स्टाफ मिला. हमने पूछा कि यहां कितने बेड है? जवाब मिला- 20 बेड है. यहां बेड कम हैं, इसलिए मरीजों को सीधे सेंट्रल हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है. 2 बजे से एंबुलेंस का आना-जाना शुरू हुआ और 90 मिनट तक लगातार वे फेरे लगाती रहीं. मरने वालों की डेडबॉडी मेडिकल कॉलेज भेज दी गईं.
हॉस्पिटल के बाहर एक कागज चिपका दिया गया. इस पर लिखा है, ‘जिन लोगों के रिश्तेदार खो गए हैं, वो स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज के शवगृह या सेक्टर-21 के खोया-पाया केंद्र में जाकर पता कर लें. कुंभ एरिया में 10 खोया-पाया सेंटर हैं. लापता लोगों को ढूंढने के लिए उनके परिवार वाले यहां पहुंचते रहे. सुबह 11 बजे तक ही करीब 3 हजार लोग यहां इन्क्वायरी कर चुके थे.