बीजिंग, 2 फरवरी (आईएएनएस)। शपथ ग्रहण के दो सप्ताह से भी कम समय में अमेरिका की नई सरकार ने कई देशों के खिलाफ “टैरिफ स्टिक” का इस्तेमाल किया है, और इसकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक आलोचना की है और चिंता जताई है। सीजीटीएन द्वारा किए गए कई वैश्विक सर्वेक्षणों के अनुसार, आम तौर पर उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिका द्वारा अन्य देशों पर एकतरफा टैरिफ लगाने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में पर्याप्त वृद्धि नहीं होगी, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्त रिकवरी और भी खराब हो जाएगी।
सर्वेक्षण में, 90.53 प्रतिशत वैश्विक उत्तरदाताओं ने अमेरिकी सरकार द्वारा उठाए गए व्यापार संरक्षणवादी उपायों की आलोचना की, जो डब्ल्यूटीओ नियमों का गंभीर उल्लंघन है। वहीं, 90.68 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अन्य देशों के खिलाफ अमेरिका के अंधाधुंध आर्थिक दबाव ने उसके धमकाने और दबंगी स्वभाव को उजागर किया है जबकि 92.14 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अन्य देशों के खिलाफ अमेरिका के आर्थिक दबाव ने वैश्विक बाजार की स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है और वैश्विक आर्थिक सुधार पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हाल के वर्षों में, अमेरिका ने लगातार विश्व व्यापार संगठन के बुनियादी सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाया है, डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान तंत्र को दरकिनार किया है, और केवल अमेरिकी घरेलू कानून के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में तनाव को बढ़ाया है। डब्ल्यूटीओ ने फैसला सुनाया है कि अमेरिका के “धारा 301” कर उपायों ने डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन किया है, इसके बावजूद अमेरिका ने संबंधित देशों के समुद्री, रसद और जहाज निर्माण उद्योगों की जांच की और कुछ आयातित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए।
उपरोक्त डाटा सीजीटीएन द्वारा आयोजित दो वैश्विक सर्वेक्षणों और कई ऑनलाइन पोल पर आधारित है जिसमें दुनिया भर के 38 देशों के 14,071 उत्तरदाता शामिल हैं। इन उत्तरदाताओं में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जापान जैसे विकसित देशों के उत्तरदाताओं के साथ-साथ भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मैक्सिको जैसे विकासशील देशों के लोग भी शामिल हैं।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
एकेजे/