जबलपुर, देशबन्धु. पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय जबलपुर जोन रेल होने के बावजूद भी शहर वासियों को जो यात्री सुविधाएं मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रही हैं. जबलपुर शहर आबादी के मान से महानगर का स्वरूप ले चुका है. इतना सभी कुछ होने के बाद भी यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है.
सूत्रों से प्राप्त खबर के अनुसार मुख्य रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन अप और डाउन दिशा की ओर लगभग 120 यात्री ट्रेनों का संचालन वर्षों से नियमित किया जा रहा है, इसमें से अधिकतर ट्रेेनें मध्य रेलवे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर कोलकाता, और हाजीपुर के अलावा अन्य जोनों की रहती हैं. अत्यंत आवश्यक बैंगलुरू हावड़ा मुंबई, बनारस, मुंबई टे्रनें हैं, जिनके कारण शहर के यात्रियों को एक अच्छी सुविधा उपलब्ध हो रही है.
दिल्ली के लिए टे्रनें- पमरे के जबलपुर जोन की सबसे पुरानी महाकोशल एक्सप्रेस जबलपुर हजरत निजामुद्दीन और संपर्क क्रांति एक्सप्रेस सप्ताह में तीन दिन ही पटरी पर दौड़ाई जा रही है. अधिकतर सभी टे्रनों में हमेशा ही दिल्ली जाने के लिए वेटिंग मिलती है, इससे हमेशा यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आपातकालीन स्थिति में तो यात्रियों को मजबूरीवश दो हिस्से में यात्रा करनी पड़ती है.
7 बजे के बाद जबलपुर से दिल्ली टे्रन का संचालन नहीं -जानकारी के अनुसार जबलपुर से प्रतिदिन गोंडवाना एक्सप्रेस 3.15 बजे, श्रीधाम एक्सप्रेस 5.45 बजे और संपर्क क्रांति एक्सप्रेस शाम 7 बजे संचालित होती है. इसके बाद रेलमार्ग से दिल्ली के लिए कोई भी टे्रन का संचालन नहीं होता है, जबकि लाइन में जबलपुर के अलावा नरसिंहपुर, मंडला, दमोह, कटनी, सिवनी, छिन्दवाड़ा, बालाघाट आदि शहरों के यात्रियों को दिल्ली जाने के लिए असुविधाओंं का सामना करना पड़ रहा है.
इसी प्रकार दिल्ली से भी जबलपुर की ओर आने के लिए शाम 6 बजे किसी भी टे्रेन को नहीं चलाया जा रहा है. यह बड़े ही आश्चर्य का विषय माना जा रहा है. जानकारी के अनुसार जबलपुर से हजरत निजामुद्दीन के लिए शाम 7 बजे के बाद किसी भी टे्रन को नहीं चलाया जा रहा है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए जबलपुर से रात्रिकालीन टे्रन 9 बजे से चलाये जाने के लिए यदि जनप्रतिनिधि, चेम्बर ऑफ कॉमर्स रेलवे प्रबंधन से वार्तालाप करने का प्रयास करें तो एक ट्रेन वापसी दिल्ली से रात्रि में चलाई जा सकती है.
गौरतलब है कि जबलपुर में सांसद आशीष दुबे, राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा, राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मिकी के अलावा प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, संपत्तिया उइके मंडला यह तीनों प्रदेश शासन में मंत्री हैं. दमोह के सांसद श्री लोधी आदि अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से मांग की जाए तो उल्लेखित ट्रेनें संचालित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इन यात्री टे्रनों के संचालन के लिए दलगत राजनीति से हटकर यात्री सुविधाओं के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा, तभी सफलता मिल सकती है.
जबलपुर पुणे स्पेशल- मुख्य स्टेशन से वर्ष 2008 से जबलपुर से पुणे के लिए साप्ताहिक टेे्रन को संचालित किया जा रहा है. इस ट्रेन को आज तक नियमित नहीं किए जाने से यात्रियों को साधारण टे्रन की तुलना में प्रति यात्री15 प्रतिशत अधिक किराए का भुगतान करना पड़ता है, वहीं पूर्व लोकसभा की तत्कालीन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा इसी टे्रेन को नियमित कराए जाने पर यात्रियों को अब अतिरिक्त किराए का भुगतान नहीं करना पड़ता है. जब रेलवे बोर्ड मुख्यालय दिल्ली सभी के लिए एक है, तो जबलपुर के लिए इस प्रकार की सुविधाएं यात्रियों को क्यों नहीं दी जा रही हैं? यह आश्चर्य का विषय माना जा रहा है.
जबलपुर से बैंगलुरु के लिए कोई भी साधन नहीं
जबलपुर से बैंगलुरु के लिए भी एक भी यात्री ट्रेन नहीं है, जबकि यह शहर के लिए यह सबसे बड़ी आवश्यकता है. महानगर के प्रत्येक घर से एक या दो बच्चे बैंगलुरू के लिए चढ़ते हंै या नौकरी करते हैं, इसके कारण इस टे्रन को संचालित भी नियमित किया जाना अति आवश्यक माना जा रहा है. गौरतलब है कि तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक विवेक शील ने मदन महल स्टेशन में जबलपुर से वीराबल टे्रेन के जाते समय मदनमहल स्टेशन में इसका ठहराव नहीं दिया.
बनारस से मुंबई महानगरी एक्सप्रेस टे्रन का मदनमहल में स्टॉपेज नहीं दिया गया है. यह दोनों टे्रेनें वापसी में मदनमहल स्टेशन में रुकती हैं. इस बिन्दु को महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय के समक्ष सासंदों ने प्रमुखता से उठाया था, परंतु इसके बावजूद आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है. इस संबंध में तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक विवेक शील ने शीघ्रता से इस विषय पर कदम उठाने की बात कहीं थी, इसके बाद वह भी मांग आज तक पूरी नहीं हुई. यदि सभी जनप्रतिनिधि संयुक्त रूप से इस संबंध में प्रभावी कदम उठाने का प्रयास करें तो बहुत सी सुविधाएं जबलपुर के मिलने की संभावना है.