जबलपुर. ध्ययुगीन भक्ति चेतना के प्रमुख संतों में संत रविदास जी का नाम श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है. वे केवल मात्र संत अथवा भक्तों के रूप में ही प्रतिष्ठित नहीं है, अपितु उनका व्यक्तित्व समाज सुधारक, क्रांतिकारी, चिंतक, उत्कृष्ट युग- पुरुष के रूप में अभिव्यक्त हुआ है. ऐसे महामानव के जीवन चरित्र ने वर्तमान समाज को एक नई ज्योति प्रदान की है.
उनकी पूर्ण प्रामाणिक एवं सर्वप्रथम प्रकाशित वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में उपलब्ध होती है. उक्त जानकारी श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह राणा ने देते हुए बताया कि संत रविदास जी का नाम विभिन्न ग्रंथों में अलग-अलग रूप में उपलब्ध होता है. उनके प्रचलित नामों में रविदास, रैदास रोहतास, रोहीदास, रामदास, रुईदास आदि उल्लेखनीय हैं.
उन्होंने बताया कि संत रविदास अपने गुरु रामानंद के आशीर्वाद से भगवान राम की सेवा में ऐसे लीन हुए कि प्रभु भक्ति में पूरा जीवन लगा दिया. उन्होंने बताया कि संत रविदास का जबलपुर से गहरा संबंध है. उनकी साधना यात्रा में जबलपुर भी सम्मिलित रहा है, तब यहां गोंडवाना साम्राज्य था. ग्वारीघाट में संत रविदास का पवित्र तीर्थ स्थल है जहां प्रदेश और देश के कई क्षेत्रों से अनुयायी यहां दर्शन करने आते हैं.