जबलपुर, देशबन्धु. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में हर घर नल से जल उपलब्ध करवाने का टारगेट 2025 से बढ़कर 2028 हो गया है. हालांकि, मध्य प्रदेश में इस योजना के दावे की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है. प्रदेश में गर्मी की शुरुआत भी नहीं हुई कि कई जिलों में जल संकट गहरा गया है.
पीएचई मंत्री संपतिया उइके के गृहग्राम टिकरवारा का हाल- मंडला पहुंची जहां पीएचई मंत्री संपतिया उइके के गृहग्राम टिकरवारा में ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. वार्ड क्रमांक 5 की पंच सुमन पटेल ने बताया ने जब से टंकी के जरिए पानी दिया जा रहा है, तब से परेशान हैं. पानी इतना खारा है कि बर्तन तक काले पड़ रहे. सचिव को भी शिकायत की है, पर कोई सुधार नहीं हुआ.
पानी छानकर पीने को मजबूर- गांव की महिला सरस्वती रजक का कहना है कि सरपंच, सचिव पुराना बोर शुरू करने की बात कहते हैं लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं करते. इसी पानी को छानकर पीने पर मजबूर हैं. हमेशा बच्चों के बीमार होने का डर रहता है. मामले में पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री पीएचई मनोज भास्कर ने कार्यालय से एक टीम बनाकर टिकरवारा में भेजकर पानी का परीक्षण करवाने की बात कही. नल जल योजना पर उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल पहले से संचालित है जो ग्राम पंचायत की ओर से चलाया जा रहा है.
ग्रामीण नहीं हैं खुश- पीएचई विभाग पहले से नल-जल योजना के तहत पानी सप्लाई करता रहा है. अब यहां पर पानी की टंकी और पाइप लाइन का विस्तार हो गया है. 2 बोर खुदवाए गए जिनसे पानी को टंकी तक पहुंचाया जाता है. बेशक यहां घर-घर पानी तो पहुंच रहा है, लेकिन ग्रामीण इससे खुश नहीं हैं. उनका आरोप है कि बोरवेल में से एक का पानी ही पीने लायक है. जबकि दूसरे बोर का पानी खारा है. बावजूद इसके दोनों पानी टंकी में स्टोर किया जाता है.
डिंडोरी में बंद कर दी नल-जल योजना- पानी की समस्या का कुछ ऐसा ही हाल मंडला से सटे डिंडोरी में भी देखा गया. डांड विदयपुर के लोगों को कई महीनों से नल जल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. हरिजन बस्ती में सुबह-शाम महिलाएं अपने बच्चों के साथ 2 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं.
मंत्रियों से नाराज महिलाएं- एक ग्रामीण महिला ने कहा कि कलेक्ट्रेट तक आवेदन किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बीते दिनों इसी मुद्दे पर चक्काजाम भी किया था, जिसके बाद हैंडपंप के लिए गड्ढा खोदा गया लेकिन पानी बहुत कम निकला है. वहीं दूसरी महिला ने बताया कि 3 किलोमीटर दूर से हर दिन पानी ला रहे. जो भी मजदूरी में पैसा मिलता है, वह पानी में लगा रहे हैं. वहीं महिलाएं मंत्री समेत तमाम नेताओं से भी नाराज दिखीं.
करोड़ों रुपए खर्च फिर भी नहीं मिल रहा पानी- ज्ञात हो कि 78 लाख रुपए की लागत जल जीवन मिशन द्वारा ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने गांव में पानी की टंकी बनवाई थी. घर-घर कनेक्शन किए गए. कुछ साल तक पानी मिला, लेकिन बाद में बंद कर दिया गया. तकनीकी कारणों से अब ग्रामीण रोजाना पानी के लिए संघर्ष कर रहे.
शोपीस बनी नल-जल योजना- पीएचई विभाग की उदासीनता के चलते लाखों की नल जल योजना शोपीस बनी हुई है. ठेकेदार और विभाग ने पाइप लाइन बिछाकर घर घर नलों के स्टैंड और टोंटी लगाकर इतिश्री कर ली. आज भी ग्रामीण पानी के लिए परेशान हो रहे. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी फरवरी महीने में ये हालात हैं तो भीषण गर्मी में क्या स्थिति बन सकती है.
शहडोल में पीलिया का कहर-
आदिवासी बाहुल्य शहडोल में पानी को लेकर हालात बेहद खराब हैं. धनपुरी में दूषित पानी पीने की वजह से 50 से ज्यादा लोग पीलिया का शिकार हो गए. अस्पताल में जगह नहीं है और लोग इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं. क्षमता से अधिक मरीज मिलने से प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. सबसे ज्यादा 5 साल से लेकर 15 साल तक के बच्चे इससे ग्रसित हैं. 300 ग्रसित मरीज होने का दावा- मरीज की परिजन लक्ष्मी बर्मन ने बताया कि धनपुरी में पीलिया का प्रकोप है. उन्होंने दावा किया कि करीब 200 से 300 मरीज इससे ग्रसित हुए हैं. सारी बाहर की दवाइयां मंगवाई जा रही.