सोडेपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दरिंदगी का शिकार हुई ट्रेनी महिला डॉक्टर के पिता ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता के पिता का कहना है कि उनकी बेटी की मृत्यु के बाद, अस्पताल से मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करने में उन्हें अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के अधिकारियों द्वारा कई बार उन्हें यह कहा गया कि प्रमाणपत्र जल्द ही जारी किया जाएगा, लेकिन महीनों बीतने के बावजूद उन्हें अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिला।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए पीड़िता के पिता ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में अस्पताल के एमएसवीपी से संपर्क किया और मृत्यु प्रमाणपत्र की मांग की। उन्होंने कहा कि ठीक है, मैं आपको दे दूंगा। लेकिन उन्होंने छह महीने तक यही कहा। इसके बाद, मैंने एमएसवीपी को लिखित सूचना दी।
उन्होंने कहा कि जब मैंने फिर से संपर्क किया तो एमएसवीपी ने कहा कि वह मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं जारी कर सकते। इसके बाद उन्हें संबंधित ब्योरे के लिए दफ्तर जाने की सलाह दी गई। 20-21 दिन बीतने के बाद, मुझे यह बताया गया कि विशेष अनुमति से स्वास्थ्य विभाग से सोमवार को प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इस पर मैंने कहा कि अगर सोमवार तक प्रमाणपत्र नहीं मिला, तो मुझे लिखित कारण बताना होगा कि क्यों नहीं दिया जा सका।
उन्होंने कहा कि कोर्ट में जब वकील ने मृत्यु प्रमाणपत्र के बारे में पूछा, तो अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने मृत्यु सूचना प्रमाणपत्र दिया था, लेकिन यह स्वीकार किया कि कोई मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं जारी किया गया। वह कोर्ट में एक बात कहते हैं और बाहर आकर दूसरी बात करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि 9 अगस्त को जब वह अस्पताल पहुंचे, तब उन्हें तीन घंटे तक अस्पताल में अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। मेरी बेटी उस समय जीवित थी। उन्हें मेरी बेटी के मरने का इंतजार था और फिर हमें अंदर भेजा गया। मुझे लगता है कि उन्होंने उस समय मेरी बेटी को मृत घोषित नहीं किया था और इसलिए मुझे मृत्यु प्रमाणपत्र भी नहीं दिया।
पीड़िता के पिता ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि वह इस घटना के बारे में प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से बात करना चाहते हैं, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और इस तरह की घटना भविष्य में न घटे।
–आईएएनएस
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