पाटन, देशबन्धु. जहां एक ओर मोहन यादव सरकार जनता के हित में लगातार असरदार फैसले ले रही है, वही पाटन निकाय प्रशासन स्वच्छता एवं मुख्य सड़क पर लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दे रही हैं.
निकाय क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों को रोजाना इन हाथ ठेलो, सड़क किनारे लगी सब्जी की दुकानों से लगने वाले जाम से रोजाना बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में जिम्मेदारों ने मौन धारण कर रखा है. वार्डवासी बताते हैं कि सीएमओ के द्वारा मुख्य सड़क कमानिया गेट से लेकर सिविल अस्पताल के दोनों किनारे पर लगी सब्जी की दुकानों एवं हाथ ठेला में लगने वाली फल सब्जी की दुकानों को नहीं हटाया जा रहा है, जिससे अतिक्रमण करने वालों के हौसले इस समय बुलंद है.
जानकारी के मुताबिक दुकानदारों को सड़क किनारे दुकान लगाने के बजाए बुधवार को झंडा चौक प्रांगण में सब्जी एवं अन्य दुकानें लगाने के निर्देश निकाय प्रशासन के द्वारा दिया गया था. वही सप्ताह के बाकी दिनों में सीएम राइज स्कूल के सामने दुकान लगाने के निर्देश भी दिए गए थे लेकिन इन निर्देशों को धता बताते हुए दुकानदारों के द्वारा नगर की मुख्य सड़क कमानिया गेट से लेकर सिविल अस्पताल तक इसके अलावा बस स्टेंड, सिविल कोर्ट चौराहा, कटंगी रोड पर हाथ ठेले एवं सड़क किनारे दुकान लगाकर आवागमन को अवरुद्ध करने का काम इन अतिक्रमण करने वालों के द्वारा किया जा रहा हैं.
इसके अलावा सिविल कोर्ट चौराहे पर ऑटो सवारी,पिकअप वाहनों को भी सड़क किनारे खड़ा कर दिया जाता है जिससे जाम की स्थिति हर समय बनी रहती है और थाने की पुलिस भी इस मामले पर कोई कार्यवाही नहीं करती है. उल्लेखनीय है कि बाजार बैठकी ठेकेदार के द्वारा सड़क किनारे की फुटपाथी दुकानों एवं हाथ ठेलो वालों को नहीं हटाने का सीएमओ पर समय समय पर दबाव बनाया जाता रहा है. जानकार बताते है कि नगर की सड़कों पर जितने ज्यादा हाथ ठेला और फुटपाथी दुकानें सजेगी उतनी ज्यादा ठेकेदार की कमाई होगी.
ठेकेदार के द्वारा इन कब्जेधारियों को संरक्षण देने की भी जानकारी मिल रही है जिसकी वजह से नगर में हाथ ठेला और फुटपाथी दुकानों की बाढ़ सी आ गई है. सरकारी अमले की खामोशी ही बता रही है कि नगर में अतिक्रमण करने वालों के हौसले कितने बुलंद है जब तो वे सरकारी सड़क तक को भी कब्जाने से नहीं घबराते है. इस मामले की शिकायत कई बार स्थानीय लोग निकाय के जि़म्मेदार अधिकारियों से कर चुके है लेकिन निकाय के लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारी इस मामले को एक दूसरे पर टालकर ठंडे बस्ते में डाल देते हैं जिसकी वजह से लोगों का सरकारी अमले से विश्वास दिनों दिन उठता जा रहा है.