नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)। अस्थायी वर्कफोर्स नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) की रीढ़ की हड्डी के रूप में उभर रहा है और इन वित्तीय कंपनियों में कलेक्शन ऑफिसर, सेल्स ऑफिसर और रिलेशनशिप मैनेजर जैसे अहम पद अस्थायी नियुक्तियों द्वारा भरे जा रहे हैं। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
टीमलीज सर्विसेज की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्कफोर्स डायनामिक्स सेक्टर में तेजी से बदल रहे हैं और अस्थायी कर्मचारी ग्राहक सेवा से जुड़ी भूमिकाओं में अहम जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
एनबीएफसी भारत के वित्तीय सिस्टम का बेहद जरूरी हिस्सा बन गया है और यह सालाना आधार पर 21 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
वित्त वर्ष 2024 में एनबीएफसी की कुल बैलेंस शीट का साइज बढ़कर 21.8 लाख करोड़ रुपये हो गया था। इस वृद्धि की बड़ी वजह तेजी से डिजिटल टूल्स में बढ़ोतरी होना और ग्राहक आउटरीच रणनीति का विस्तार होना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह बदलाव न केवल ऑपरेशनल दक्षता को बढ़ा रहा है, बल्कि वर्कफोर्स के ढांचे को भी बदल रहा है।
कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कफोर्स में महाराष्ट्र और गुजरात का दबदबा है, जो क्रमशः 19.9 प्रतिशत और 11.6 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के साथ शीर्ष दस राज्यों में एनबीएफसी की अस्थायी वर्कफोर्स वितरण का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है।
विभिन्न क्षेत्रों में वेतन रुझान भी भिन्न-भिन्न होते हैं। दिल्ली और कर्नाटक एनबीएफसी में अस्थायी कर्मचारियों के लिए उच्चतम औसत वेतन प्रदान करते हैं, जिसमें दिल्ली 23,756 रुपये के साथ अग्रणी है और कर्नाटक 23,607 रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है।
ये वेतन टेलीसेल्स एजेंट, ग्रामीण क्रेडिट अधिकारी और प्रशासनिक कर्मचारी जैसी भूमिकाओं पर लागू होते हैं।
सेक्टर की अस्थायी वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 21.9 प्रतिशत है, जिसमें सबसे अधिक महिला भागीदारी मिजोरम (45.5 प्रतिशत) में दर्ज की गई है।
पूर्वोत्तर राज्यों ने वित्तीय सेवाओं में महिलाओं के समावेश को बढ़ावा देने में एक उदाहरण स्थापित किया है क्योंकि सिक्किम में 35.7 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं और मेघालय में 29.4 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं।
–आईएएनएस
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