नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व की ओर से आने वाले समय में विकास दर को बढ़ाने के लिए रेपो रेट में 25-50 आधार अंक तक की कटौती की जा सकती है। इसके अलावा लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए कई उपाय भी लागू किए जा सकते हैं। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, “फरवरी में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति बैठक (एमपीसी) के दौरान रेपो रेट में कटौती चक्र की शुरुआत उम्मीद के मुताबिक थी और एमपीसी मिनट्स से पता चलता है कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदस्यों के विचारों में व्यापक समानता कैसी थी।”
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई कि केंद्रीय बैंक द्वारा आने वाले समय में रेपो रेट को 25-50 आधार अंक घटाकर 5.7 प्रतिशत किया जा सकता है।
फरवरी की बैठक के मिनट्स में सदस्यों के विचारों में समानता दिखाई दी और सभी ने विकास को समर्थन देने के लिए रेपो रेट को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया, “हम नियामक उपायों में ढील की संभावना के साथ-साथ एक बड़े रेट कट (25-50 आधार अंक) की उम्मीद करते हैं।”
सभी एमपीसी सदस्यों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कम महंगाई दर के कारण विकास दर का समर्थन करने के लिए रेपो रेट में कमी के लिए आरबीआई के पास पर्याप्त जगह है।
कोटक रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रुपये की कमजोरी के प्रति आरबीआई की बढ़ती सहनशीलता और बिना किसी आपूर्ति झटके के 4 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ती महंगाई को देखते हुए वित्त वर्ष 2026 में रेपो रेट में 25-50 आधार अंक की और कटौती की उम्मीद बनी हुई है।
देश की विकास दर को रफ्तार देने के लिए इस महीने की शुरुआत में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट को 25 आधार अंक कम करके 6.25 प्रतिशत कर दिया था।
इस दौरान उन्होंने कहा था कि महंगाई में गिरावट आई है और इसके और कम होने एवं धीरे-धीरे आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप होने की उम्मीद है।
–आईएएनएस
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